Monday, December 16, 2024
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विजय दिवस: आज ही के दिन हुआ था बांग्लादेश का जन्म, पर भारत के लिए क्यों है इतना खास?

1971 की जंग भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए खास है। इस जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को सरेंडर कराया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Dec 16, 2024 7:30 IST, Updated : Dec 16, 2024 7:32 IST
विजय दिवस- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV विजय दिवस

आज पूरा देश विजय दिवस मना रहा है। यह दिन 1971 जंग की निर्णायक जीत का प्रतीक है कि कैसे भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी और ईस्ट पाकिस्तान को जुल्मों से आजादी दिलाई। आज 16 दिसंबर का दिन भारत के साथ-साथ बांग्लादेश के लिए भी खास है। आज ही के दिन बांग्लादेश का जन्म हुआ था। यह दिन भारतीय सशस्त्र बलों के बलिदान को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इतिहास की सबसे निर्णायक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ऐसे बना था बांग्लादेश

1971 में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवाद ग्रुप का समर्थन करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी। इस जंग में आखिरकार पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। बात 1970-71 की है, जब पाकिस्तानी जनरल याह्या खान ने अपनी दमनकारी सैन्य शासन के जरिए पूर्वी पाकिस्तान में आम लोगों का नरसंहार करना चालू कर रखा था। तब शेख मुजीबुर रहमान ने आमजन को लड़ने के लिए प्रेरित किया और मुक्ति वाहिनी सेना बनाई। साथ ही भारत से मदद मांगी। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को पाकिस्तान के क्रूरता से बचाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को जंग में जाने की इजाजत दी।

इसलिए है भारत के लिए खास

इसके बाद भारतीय सेना ने 4 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू किया। इस जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया और 16 दिसंबर 1971 को नए राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस जंग में भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी को झुकने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद कमांडर जनरल ने औपचारिक रूप से भारत और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेना के सामने सरेंडर कर दिया। vijay diwas

Image Source : SOCIAL MEDIA
सरेंडर करते हुए पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी

इस दौरान करीबन 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था। भारत ने 93,000 हजार पाकिस्तानियों को हथियार समेत सरेंडर कराए और दुनिया के सामने सेना का दम दिखाया।

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