दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर कोचिंग सेंटर की घटना को लेकर पहली बार सामने आए हैं। उन्होंने एएनआई को दिए अपने एक इंटरव्यू में कई सवालों के जवाब दिए। बता दें इससे पहले उन्होंने अपनी संस्था के जरिए प्रेस रिलीज जारी कर उम्मीदवारों से माफी मांगी थी। उन्होंने प्रेस रिलीज में कहा कि हमें खेद है कि हमने अपना पक्ष रखने में देरी की, घटना पर हम नहीं चाहते थे कि अधूरी जानकारी के आधार पर कुछ कहें। इस देरी के लिए हम माफी मांगते हैं।
'हर कोई बलि का बकरा चाहता है'
इसके बाद अब एएनआई से उन्होंने बात की, जिसमें उन्होंने उस सवाल का जवाब दिया कि उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है? दृष्टि आईएएस के संस्थापक और एमडी डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, "मुझे निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि ऐसे मामलों में हर कोई बलि का बकरा चाहता है। इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती हैं, उन्हें लगता है कि वे सुरक्षित हैं, उस एक व्यक्ति को पीड़ित होने दें, और यहां तक कि समाज को भी लगता है कि उन्होंने आरोपी को पकड़ लिया है, कपंटीटर को लगता है कि यही मौका है हिसाब बराबर कर लिया जाए।
छात्र भावनात्मक उथल-पुथल से गुजर रहे
आगे कहा कि छात्र भावनात्मक उथल-पुथल से गुजर रहे हैं, उनके गुस्से का कारण यह है कि मैं उनके साथ क्यों नहीं खड़ा हुआ, 50 से अधिक संस्थानों पर सीलिंग की कार्रवाई हुई, उनमें से एक हमारा भी है।
उन्होंने अभ्यर्थियों की मौत पर कहा कि 3 बच्चों की मौत हो गई, यह एक दर्दनाक मौत थी। पिछले 3 दिनों से जब भी हम घर पर बात करते हैं या मैं सोने जाता हूं, तो मेरे दिमाग में एक छवि आती है कि उन बच्चों पर क्या गुजरी होगी जब पानी अंदर भर गया था, अभी जो छात्र विरोध कर रहे हैं, वे सभी बातें सही हैं।
बच्चों से मिलने की दी जानकारी
आगे कहा कि मैं आज 3-4 छात्रों से मिला हूं। मेरी दिल्ली के एलजी के साथ बैठक हुई थी। उस बैठक में कुछ छात्र भी आए थे और कई संस्थानों के मालिक भी थे, साथ ही दिल्ली सरकार के बड़े अधिकारी भी थे, डीडीए से, एमसीडी, अग्निशमन विभाग, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव भी थे" आगे उन्होंने कहा कि आज बातचीत के बाद मुझे लगा कि वो सहजता है हो सकता है कि मैं आज या कल बच्चों से मिलूंगा।
दिल्ली सरकार का कोई नेता मौजूद नहीं
आगे डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, "इस मुद्दे को एलजी द्वारा संभाला जा रहा है, वहां बहुत से नौकरशाह मौजूद थे, लेकिन दिल्ली सरकार का कोई नेता मौजूद नहीं था, यह देखकर अच्छा लगा कि एलजी इतने सक्रिय थे। एक छोटी सी समिति बनाई गई है, जिसमें मैं और कई अन्य शिक्षक भी मौजूद हैं, और डीडीए और एमसीडी प्रमुख भी इसका हिस्सा हैं। बैठकें करने के बाद हम समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।"
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