नई दिल्ली। 'वेद एवं विश्वशांति' विषय पर आयोजित महत्वपूर्ण वेबीनार में अमेरिका, जापान, नेपाल, पैराग्वे, क्यूरसाउ, हॉलैंड, फ्रांस, जर्मनी तथा भारत से जुड़े विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. योकियो हातोयामा, त्रिनिदाद और टोबैगो के पूर्व राष्ट्रपति जस्टिस एंथनी थॉमस एक्विनास कामोर्ना, नेपाल के मिनिस्टर ऑफ एजुकेशन पोक्खरेल, विश्वयापी महर्षि अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष डॉ. टोनी नाडर, आदरणीय राजा लुइस, क्यूरसाउ की वर्तमान मंत्री एवं पूर्व प्रधान मंत्री सुजैन कैमिलिया, इक्वाडोर में शिक्षा समिति संसद के अध्यक्ष जिमी कैंडल सोतो सहित अनेक प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ भारत से शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
यह पहली बार हुआ कि 50 से अधिक देशों के लोग तथा देश विदेश के विशविद्यालयों के कुलपति, शोध छात्र सहित पांच लाख लोग इस वेबिनार में जुड़े। भारत की और से शिक्षा मंत्री ने कहा, वेद आधारित हमारी भारतीय संस्कृति हमें एकता, समरसता, सहयोग, भाईचारा, अहिंसा, विनम्रता एवं समानता जैसे मानव मूल्यों को अपनाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। वैश्विक आपदा कोविड-19 के कठिन संकटग्रस्त दौर में हमारे समक्ष सभी का आत्मविश्वास एवं मनोबल बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। विश्व बंधुत्व, मानवता, समरसता एवं माननीय मूल्यों के आधार पर सुखी, शांत एवं समृद्ध विश्व की अवधारणा को हम वैदिक मूल्यों के आधार पर ही चरितार्थ कर सकते हैं।
इस कर्यक्रम का सयोजन डॉ. राजेश नैथानी ने किया। सभी देशों से जुड़े विशेषज्ञों ने इस तरह के कार्यक्रम को पूरे विश्व के लिए एक सकारत्मक सन्देश के रूप में महत्वपूर्ण कदम बताया और इस प्रकार के और भी आयोजनों को समय समय पर करने का भी प्रस्ताव रखा।सभी लोगों ने वेद और भारतीय दर्शन को विश्व शांति का द्योतक बताया। निशंक ने कहा, वैश्विक आपदा कोविड-19 के अभूतपूर्व संकट में भारत ने समूचे विश्व समुदाय को यह संदेश दिया है कि भारत एक जिम्मेदार और महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति है जो साझा खतरों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण वैश्विक भूमिका अदा कर सकता है। यह हमारी 'वसुधैव कुटुंबकम' की परंपरा को चरितार्थ करता है।