केंद्र सरकार ने एस.सोमनाथ के रिटायरमेंट के बाद सरकार ने वी.नारायण पर इसरो प्रमुख बनाया है। वी.नारायण अब इसरो के नए चेयरमैन बन गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, वी.नारायण ने 1984 में इसरो ज्वाइन किया था और LPSC के डायरेक्टर पद से पहले कई पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं। ऐसे में आइए अब जानते हैं कि इसरो के नए चीफ वी. नारायण की क्वालिफिकेशन कितनी है?
कई क्षेत्रों में किया है शानदार काम
अपने नौकरी के शुरुआती दौर में, उन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट और ऑगमेंटेड सेटेलाइट लान्च व्हीकल (एएसएलवी) और पोलर सेटेलाइट लान्च व्हीकल (पीएसएलवी) के सॉलिड प्राप्ल्यूशन क्षेत्र में काम किया। नारायण इससे पहले लिक्विड प्राप्ल्यूशन सिस्टम सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर पद पर थे। नारायण पिछले 4 दशकों से रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट प्राप्ल्यूशन के क्षेत्र में साइंटिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं।
उन्होंने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कम्पोजिट मोटर केस और कम्पोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया प्लानिंग, कंट्रोल और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, नारायण ने इसरो के पोलर सेटेलाइट लान्च व्हीकल (पीएसएलवी) जैसे प्रमुख रॉकेट लांच पर काम किया है।
कितने पढ़े हैं वी. नारायण?
वी.नारायण ने आईआईटी खरगपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक की डिग्री फर्स्ट रैंक के साथ हासिल की है। साथ ही उन्होंने साल 2001 में एयरो स्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी भी किया है। वी. नारायण को एमटेक में फर्स्ट रैंक लाने पर आईआईटी खरगपुर से सिल्वर मेडल मिला था। साथ ही एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से गोल्ड मेडल दिया गया।
मिल चुके हैं ढेरों अवार्ड
रॉकेट एंड रिलेटेड टेक्नोलॉजी के लिए एएसआई अवार्ड, हाई एनर्जी मैटेरियल्स सोसाइटी ऑफ इंडिया से टीम अवार्ड, एक्सीलेंस अवार्ड और परफॉर्मेंस एक्सीलेंस अवॉर्ड और इसरो से टीम एक्सीलेंस अवार्ड हासिल हुए हैं। इसके अलावा, उन्हें सत्यबामा यूनिवर्सिटी, चेन्नई से डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद उपाधि) की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
उन्हें आईआईटी खड़गपुर ने विशिष्ट एलिमिनी स्टूडेंट अवार्ड-2018, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के नेशनल डिजाइन और रिसर्च फोरम से नेशनल डिजाइन अवार्ड-2019 और एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एईएसआई) से नेशनल एयरोनॉटिकल प्राइज-2019 से सम्मानित किया जा चुका है।