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UPSC: सिविल सर्विसेज में बढ़ा संस्कृत का क्रेज

देववाणी मानी जाने वाली वाकई संस्कृत भाषा अब धर्मग्रंथों से निकलकर आम लोगों तक पहुंचने लगी है। यह भाषा सिविल सर्विसेज (आईएएस और पीसीएस) की तैयारी करने वाले युवाओं की पसंद बनती जा रही है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 23, 2020 18:56 IST
 Sanskrit craze increased in civil services
Image Source : GOOGLE  Sanskrit craze increased in civil services

लखनऊ। देववाणी मानी जाने वाली वाकई संस्कृत भाषा अब धर्मग्रंथों से निकलकर आम लोगों तक पहुंचने लगी है। यह भाषा सिविल सर्विसेज (आईएएस और पीसीएस) की तैयारी करने वाले युवाओं की पसंद बनती जा रही है। इसी कारण उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से ऐसे विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने के लिए निशुल्क कोचिंग की शुरूआत 2019 में की गयी है। संस्कृत संस्थान की ओर से संचालित सिविल सेवा प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन के कोआर्डिनेटर डॉ. शीलवन्त सिंह ने बताया कि सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए लखनऊ में नि:शुल्क कोचिंग चल रही है। नवम्बर 2019 में जब इसकी शुरूआत हुई थी तब 50 बच्चों ने इसमें प्रवेश लिया था। दिसम्बर से शुरू होने वाले सत्र में 75 बच्चों को प्रवेश मिलेगा।

उन्होंने बताया कि गोरखपुर, झांसी, मेरठ, प्रयागराज और वाराणसी में भी इसकी शाखाएं खोलने की तैयारी हो रही है। पहले बैच में एक बच्चे को सफलता मिली है। जिसे बीपीएसी (बिहार पब्लिक कमीशन एग्जाम) के तहत जिला चकबंदी अधिकारी के तौर पर बिहार में तैनात किया गया है। बाकी कई बच्चों की परीक्षाएं होनी हैं। कुछ की हो गयी हैं। कुछ के परिणाम आने हैं। शीलवन्त सिंह ने बताया कि करीब 800 बच्चों ने कोचिंग के लिए आवेदन किया था। जिसमें 113 लोगों को चयन हुआ था। इसके बाद साक्षात्कार करके उसमें से 75 बच्चों का बैच बना है।

उन्होंने बताया कि सिविल परीक्षा की तैयारी के लिए 21 से 35 वर्ष आयु के ऐसे युवाओं का चयन किया जाता है, जिनका ऐच्छिक विषय संस्कृत होता है। साक्षात्कार में चयनित बच्चों को तीन हजार प्रतिमाह वजीफा देने का भी प्राविधान है। संस्कृत में गणित की तरह ठोस अंक मिलते हैं। इसलिए यह युवाओं को पंसद आ रहा है। शीलवन्त सिंह ने बताया कि सिविल सर्विसेज में संस्कृत का सिलेबस छोटा होता है। अन्य भाषाओं की अपेक्षा 2 प्रश्न कम्पलसरी होता है। इसके अलावा संस्कृत को हिन्दी, रोमन, और अग्रेंजी में भी लिखा जा सकता है। इसके आलावा यूपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में जो अन्य भाषा के सवाल आते हैं, वह सारे बहुत लम्बे होते हैं।

लेकिन संस्कृत में सवाल बहुत छोटे शब्दों में होता है। जिसे बहुत कम समय में किया जा सकता है। इसमें नम्बर भी ठोस प्राप्त हो जाते हैं। इसमें यह बहुत फायदा है। यह कोचिंग निशुल्क है और किसी प्रकार कोई वर्गीकरण नहीं किया गया है। सभी को शिक्षा दी जाएगी। इसमें संस्कृत के शिक्षक दिल्ली जेएनयू, मुखर्जी नगर , प्रयागराज, लखनऊ के शामिल हैं। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष वाचस्पति मिश्रा ने बताया कि संस्कृत भाषा को मुख्यधारा में लाने के लिए आईएएस और पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाआंे को जोड़ा जा रहा है। बीच में जागरूकता कम हो गयी थी। इसमें हर वर्ग के बच्चों को निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गयी है। इससे युवाओं को बड़ा लाभ मिलेगा।

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