
नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग यानी कि UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा-2025 के लिए एक नया रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म मॉड्यूल पेश किया है, जो अब डिटेल्ड एप्लिकेशन फॉर्म (DAF)-I और DAF-II की जगह लेगा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस मॉड्यूल को लागू करने का मुख्य उद्देश्य उम्मीदवारों के लिए सुविधा बढ़ाना, आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना और एग्जामिनेशन साइकिल को ऑप्टिमाइज करना है।
‘नया रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म मॉड्यूल पेश’
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा सिविल सेवा परीक्षा (CSE) हर साल विभागीय नियमों के अनुसार आयोजित की जाती है, जिनकी अधिसूचना कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी की जाती है। उन्होंने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, 'संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा-2025 में डिटेल्ड एप्लिकेशन फॉर्म (DAF)-I और DAF-II को बदलने वाला नया रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म मॉड्यूल पेश किया है।'
उम्मीदवार को एप्लीकेशन के वक्त प्रस्तुत करनी होंगी ये चीजें
सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि उम्मीदवार को ऑनलाइन आवेदन फॉर्म के साथ जन्म तिथि, आरक्षण श्रेणी और शैक्षिक योग्यता जैसी विभिन्न दावों के समर्थन में आवश्यक जानकारी और दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। नियमों में कहा गया है कि 'रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म के साथ आवश्यक जानकारी/दस्तावेज़ प्रदान करने में विफलता के परिणामस्वरूप परीक्षा के लिए उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द कर दी जाएगी।'
मेन्स परीक्षा में मेडिकल साइंस भी एक विषय के रूप में मौजूद
बता दें कि सिविल सेवा परीक्षा हर साल संघ लोक सेवा आयोग द्वारा 3 चरणों (प्री, मेन्स और इंटरव्यू) में आयोजित की जाती है, ताकि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) समेत अन्य केंद्रीय सेवाओं के लिए अधिकारियों का चयन किया जा सके। एक अन्य उत्तर में मंत्री ने कहा कि वर्तमान में सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा के वैकल्पिक विषयों की सूची में मेडिकल साइंस को भी एक विषय के रूप में दिया गया है।
‘फार्मेसी’ को वैकल्पिक विषय के रूप में नहीं किया गया शामिल
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि 'फार्मेसी' को सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने का मामला कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जांचा गया था और 'इसे शामिल करना व्यावहारिक नहीं पाया गया।' यह उत्तर उन सवालों के जवाब में दिया गया, जिनमें पूछा गया था कि फार्मेसी को सिविल सेवा परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में क्यों नहीं शामिल किया गया है।