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UPSC सिविल सेवा : केंद्र उम्र सीमा में छूट प्रदान करने के पक्ष में नहीं

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र के रुख का संज्ञान लिया कि वह पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण आखिरी प्रयास में परीक्षा में शामिल नहीं हो पाने वाले छात्रों समेत यूपीएससी सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को उम्र सीमा पर एक बार छूट दिए जाने के खिलाफ है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : February 10, 2021 14:01 IST
UPSC Civil Services Center not in favor of providing age...
Image Source : FILE UPSC Civil Services Center not in favor of providing age relaxation

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र के रुख का संज्ञान लिया कि वह पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण आखिरी प्रयास में परीक्षा में शामिल नहीं हो पाने वाले छात्रों समेत यूपीएससी सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को उम्र सीमा पर एक बार छूट दिए जाने के खिलाफ है। केंद्र ने कहा कि ऐसे छात्रों को इस साल एक और मौका देने से दूसरे उम्मीदवारों के साथ भेदभाव होगा। न्यायालय ने निजी क्षेत्र से नौकरशाही में ‘लेटरल इंट्री’ के जरिए मौका दिए जाने पर भी सवाल पूछे। केंद्र ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ को इस बारे में बताया। पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

याचिका में महामारी के कारण 2020 में अपने आखिरी प्रयास में परीक्षा में नहीं बैठ पाने वाले छात्रों को एक और अवसर दिए जाने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने यूपीएससी ने निजी क्षेत्र से नौकरशाही में ‘लेटरल इंट्री’ के मुद्दे पर एक नोट भी दाखिल करने को कहा है। पीठ ने कहा, ‘‘संयुक्त सचिव स्तर पर निजी सेवा से उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए आपके पास नीति है। छूट भी दी गयी है।

लेटरल इंट्री के लिए उम्र सीमा 45 है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी भी थे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए यह सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि सरकार ने 2020 में आखिरी प्रयास गंवाने वाले अभ्यर्थियों को एक मौका देने पर सहमति जतायी लेकिन वह उम्र सीमा 32 से 33 करने को राजी नहीं है। पीठ ने कहा ‘‘हम इन सबका परीक्षण करेंगे। फैसला सुरक्षित रखा जाता है।’’ केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि शुरुआत में सरकार अतिरिक्त मौका देने के पक्ष में नहीं थी और उसने पीठ के सुझाव पर ऐसा किया।

राजू ने पीठ से कहा, ‘‘यह ऐसी परीक्षा नहीं है जिसमें आप अंतिम समय में तैयारी करते हैं। लोग वर्षों तक इसके लिए तैयारी करते हैं।’’ केंद्र ने पांच फरवरी को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह यूपीएससी सिविल सेवा के ऐसे अभ्यर्थियों को एक बार की राहत के तौर पर अतिरिक्त मौका देने पर सहमत है, जिनका कोविड-19 महामारी के बीच 2020 की परीक्षा में अंतिम प्रयास था और उनकी आयु समाप्त नहीं हुई है।

उच्चतम न्यायालय में पांच फरवरी को दाखिल दस्तावेज में केंद्र ने कहा था कि सीएसई-2021 के दौरान ऐसे अभ्यर्थियों को राहत प्रदान नहीं की जाएगी, जिनका अंतिम प्रयास समाप्त नहीं हुआ है अथवा ऐसे उम्मीदवार जोकि विभिन्न श्रेणियों में निर्धारित आयु सीमा को पार कर चुके हैं। इसके अलावा, अन्य कारणों से परीक्षा में शामिल होने के लिये अयोग्य अभ्यर्थियों को भी सीएसई-2021 में राहत नहीं मिलेगी। केंद्र ने पीठ से यह भी कहा कि यह राहत केवल एक बार के अवसर के तौर पर सीएसई-2021 के लिए ही लागू रहेगी और इसे मिसाल के तौर पर नहीं देखा जाएगा।

 केंद्र ने कहा था कि भविष्य में इस राहत को आधार बनाकर किसी तरह के निहित अधिकार का दावा पेश नहीं किया जाएगा। पीठ ने राजू से इस दस्तावेज को वितरित करने को कहा था और साथ ही याचिकाकर्ताओं को इस बारे में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। केंद्र ने एक फरवरी को न्यायालय से कहा था कि वह यूपीएससी परीक्षा 2020 में कोविड-19 के कारण शामिल नहीं हो सके या ठीक से तैयारी नहीं कर पाने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका नहीं देगा। 

सरकार ने कहा था कि 2020 में अंतिम मौका गंवा चुके अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर देना अन्य के साथ भेदभाव होगा। सुनवाई के दौरान केंद्र ने देश में सिविल सेवा परीक्षा शुरू होने के बाद से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा दी गई छूट के संबंध में विस्तृत जानकारी न्यायालय को दी और बताया कि वर्ष 1979, 1992 और 2015 में परीक्षा पैटर्न में बदलाव के कारण अभ्यर्थियों को छूट दी गई थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 30 सितंबर को, देश के कई इलाकों में बाढ़ और कोविड-19 महामारी की वजह से यूपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा टालने के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

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