यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को फीस वापसी पॉलिसी का पालन न करने को लेकर एक चेतावनी जारी की है। आयोग ने कहा कि वह उन संस्थानों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा जो पॉलिसी का पालन नहीं करेगें। इतना ही नहीं, अगर समय रहते किसी भी छात्र की फीस कॉलेज ने नहीं लौटाई गई, तो अब संबंधित कॉलेज की मान्यता तक रद्द की जा सकती है। साथ ही उस कॉलेज का अनुदान रोकने से लेकर डिफॉल्टर लिस्ट में डालने तक का प्रावधान तक रखा गया है।
दी सभी को ये चेतावनी
आधिकारिक नोटिस में इस बात पर जोर दिया गया है कि यदि कोई संस्थान यूजीसी फीस रिफंड पॉलिसी का पालन करने में फेल होता है, तो यूजीसी सख्त कदम उठाने के लिए बाध्य होगा, जैसे मौजूदा ऑनलाइन/ओडीएल कार्यक्रम मान्यता/पात्रता को रोकना, इसके लिए नए आवेदन स्वीकार नहीं करना, 2(एफ) और 12(बी) स्थिति को वापस लेना, अनुदान रोकना, स्वायत्तता/ग्रेडेड स्वायत्तता स्थिति को रद्द करना/अनुदान न देना, और एडमिशन लिए संभावित उम्मीदवारों सहित आम जनता को समाचार पत्रों या अन्य उपयुक्त मीडिया में प्रमुखता से नोटिस देकर सूचित करना और संस्थान के गैर-अनुपालन के बारे में आयोग की वेबसाइट पर एक नोटिस पोस्ट करना या आयोग द्वारा उचित समझे जाने वाले अपने अधिकारों के भीतर अन्य आवश्यक कार्रवाई करना।
आयोग की यह चेतावनी पिछले 4 वर्षों में जारी किए गए कई नोटिसों और सर्कुलर के बाद आई है, जिसमें सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को निर्धारित समय सीमा से पहले अपना एडमिशन रद्द करने वाले छात्रों की फीस वापसी के बारे में निर्देश दिए गए हैं।
फीस वापस करने से इनकार चिंता का विषय
आगे आधिकारिक नोटिस में लिखा है, 'यह पाया गया है कि यूजीसी के बार-बार मौखिक और लिखित जानकारी देने के बावजूद, आपके संस्थान यूजीसी नोटिस और दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं। यूजीसी नोटिफिकेशन की संस्थानों की व्याख्या के आधार पर फीस वापस करने से इनकार करना चिंता का विषय है और इसका पालन न करने पर अक्टूबर 2018 में जारी फीस वापसी और मूल प्रमाणपत्रों को न रखने पर यूजीसी नोटिफिकेशन के खंड 5 में लिखे गए मुताबिक दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।'
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