यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने राज्यों के प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के लिए रेगुलेटर और राज्य सरकार की मंजूरी के साथ ऑफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। अब तक, देश के निजी विश्वविद्यालयों को अन्य राज्यों में ऑफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने की अनुमति नहीं दी गई है। राज्य के निजी विश्वविद्यालय से ऑफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने के लिए 10 लाख रुपये (एक बार) का प्रोसेसिंग फीस लिया जाएगा, और प्रोसेसिंग फीस में कोई भी अतिरिक्त बढ़ोतरी समय-समय पर यूजीसी तय करेगी।
कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा
यूजीसी दिशानिर्देशों के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ-कैंपस केंद्र शुरू कर सकते हैं, यदि वे कुछ मानदंडों को पूरा करते हैं, जिसमें विशिष्ट स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत ऑफ-कैंपस केंद्र बनाने का प्रावधान भी शामिल है। यूनिवर्सिटी को अपने मुख्य परिसर में एकेडमिक एक्टिविटी या प्रोग्राम की शुरुआत के बाद कम से कम पांच साल पूरे करने चाहिए।
यूजीसी को प्रोग्राम, फैकल्टी, इंस्फ्राटक्चर, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी आदि के संदर्भ में जरूरतों की पूर्ति के संबंध में स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुपालन को मान्यता देनी चाहिए। राज्य की प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के पास उपयुक्त मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा मान्यता भी होनी चाहिए। प्रस्तावित ऑफ-कैंपस सुविधा के लिए, विश्वविद्यालयों के पास भूमि का स्वामित्व (किसी भी बाधा से मुक्त) या कम से कम 30 वर्षों के लिए पट्टा होना चाहिए।
नये कार्यक्रमों की शुरूआत
राज्य निजी विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद या कार्यकारी परिषद के साथ-साथ रेगुलेटर से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही नए कार्यक्रम, विभाग, स्कूल शुरू करेगा और अपने ऑफ-कैंपस केंद्र में एडमिशन में बढ़ोतरी करेगा।
नोटिस के मुताबिक, ऑफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया का पालन करते हुए, राज्य निजी विश्वविद्यालय उसी सोसायटी, ट्रस्ट या कंपनी द्वारा संचालित किसी भी संबद्ध कॉलेज को अपने कब्जे में लेकर और धीरे-धीरे संबद्ध कॉलेज को बंद करके एक ऑफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकता है, बशर्ते कि आवेदन के साथ संबद्ध विश्वविद्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लगा होना चाहिए।
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