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UGC का बड़ा फैसला, अब इन भाषाओं में उपलब्ध हो सकती हैं ग्रेजुएशन की सभी किताबें

UGC के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने आईएएनएस को बताया, पब्लिकेशन्स से चर्चा के दौरान देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगाली, असमिया, पंजाबी, हिंदी और उर्दू जैसी भारतीय भाषाओं में किताबों के अनुवाद पर जोर दिया गया।

Edited By: India TV News Desk
Published on: December 07, 2022 20:41 IST
UGC big decision- India TV Hindi
Image Source : PTI यूजीसी का बड़ा फैसला

बीए, बीकॉम और बीएससी जैसे ग्रेजुएशन कार्यक्रमों की किताबें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो सकती हैं। हिंदी के अलावा इन किताबों का तेलुगु, मलयालम, मराठी, गुजराती, असमिया, पंजाबी और कई अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक रोड मैप तैयार करने और विभिन्न भारतीय भाषाओं में किताबों को लाने की दिशा में काम करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन किया है।

भारतीय भाषाओं में किताबें चाहती है यूजीसी

एक बड़ी पहल करते हुए UGC ने 7 दिसंबर को इंटरनेशनल बुक पब्लिकेशन्स के साथ ग्रेजुएशन की अंग्रेजी किताबों को भारतीय भाषाओं में लाने की संभावनाओं पर चर्चा की। UGC ने कहा कि इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन्स ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदार बनने की इच्छा जताई है। UGC के अध्यक्ष ने बुधवार को इंटरनेशनल बुक पब्लिकेशन्स के साथ स्वयं बातचीत की। उन्होंने इंटरनेशनल बुक पब्लिकेशन्स से पूछा कि क्या वे भारतीय भाषाओं में ग्रेजुएशन की अंग्रेजी की किताबें ला सकते हैं। विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा-हिल इंडिया के प्रतिनिधियों ने बातचीत में भाग लिया।

रीजनल भाषाओं में भी जारी होंगी किताबें

UGC के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने आईएएनएस को बताया, पब्लिकेशन्स से चर्चा के दौरान देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगाली, असमिया, पंजाबी, हिंदी और उर्दू जैसी भारतीय भाषाओं में किताबों के अनुवाद पर जोर दिया गया। अध्यक्ष ने आगे बताया कि UGC पब्लिकेशन्स को किताबों, अनुवाद उपकरणों और संपादन के लिए विशेषज्ञों की पहचान के संबंध में सहायता प्रदान करेगा। 

उन्होंने यह भी बताया कि UGC ने एक रोड मैप तैयार करने और बीए, बीकॉम, और बीएससी जैसे ग्रेजुएशन कार्यक्रमों में उपयोग की जाने वाली भारतीय भाषाओं में किताबों को लाने की दिशा में काम करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन किया है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि डिजिटल प्रारूप में सस्ती कीमतों पर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए पब्लिकेशन्स के साथ एक मॉडल तैयार किया जाएगा।

पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए भी हो रहा है विचार

UGC चैयरमेन के मुताबिक प्रारंभिक ध्यान बीए, बीएससी और बीकॉम कार्यक्रमों में मौजूदा किताबों के अनुवाद पर होगा, जिसे बाद में पोस्ट ग्रेजुएशन कार्यक्रमों में भी इसे विस्तारित किया जाएगा। यह भी बताया गया कि UGC भारतीय लेखकों और शिक्षाविदों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में किताबें लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उन्हें प्रकाशित करने में पब्लिकेशन्स को शामिल करेगा।

UGC छह से बारह महीनों में कई किताबों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का इरादा रखता है। पब्लिकेशन्स के प्रतिनिधियों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदार बनने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बुधवार को UGC ने विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा-हिल इंडिया के प्रतिनिधियों से भारतीय भाषाओं में अंडरग्रेजुएट की अंग्रेजी किताबों को लाने पर चर्चा की।

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