पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के 34 सालों बाद, इस बात की लंबे समय से जरूरत थी कि नीति-निर्माता इस नई पीढ़ी की लगातार विकसित हो रही सोच के साथ तालमेल बिठाने वाली और उद्योग जगत की जरूरतों को पूरा करने वाली नीतियों का निर्माण करें। वास्तव में, पुरानी व्यवस्था को शिक्षा के मौजूदा ढांचे से हटाकर इसे शिक्षार्थी-केंद्रित बनाया गया है, जिससे छात्रों के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हुए हैं। नई शिक्षा नीति में शिक्षण के पूरे परिदृश्य में बदलाव लाया गया है, जिससे कौशल और प्रतिभा के आधार पर करियर के नए-नए रास्ते उपलब्ध हुए हैं। इसके अलावा, दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों को भारत में अपना कैंपस बनाने की छूट दिए जाने से भी छात्रों के लिए विकास की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी।
इसके अलावा, ज्ञान के क्षेत्र में पूरी दुनिया में महाशक्ति बनना हमेशा से भारत का लक्ष्य रहा है, जिसे हासिल करना पूरी तरह से शिक्षा की मौजूदा संरचना तथा युवाओं के कौशल पर निर्भर है। सबसे तेज गति से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, यह हमारे लिए कौशल पर आधारित करियर विकल्पों तथा लैंगिक विविधता पर बल देने का सही समय है ताकि देश की युवा आबादी को सशक्त बनाया जा सके। इस तरह के बदलाव एवं विविधता से युवाओं की अलग-अलग पसंद के साथ-साथ उद्योग जगत की मांगों के अनुरूप करियर के अवसर सामने आएंगे। ऐसे ही कुछ उभरते और लगातार विकसित होने वाले क्षेत्रों के बारे में नीचे बताया गया है, जो मौजूदा ट्रेंड के अनुरूप हैं: -
1- एआई और बिजनेस एनालिटिक्स में डिग्री: कॉर्पोरेट डेटा की मात्रा और जटिलता लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से विभिन्न प्रकार के उद्योगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा बिजनेस एनालिटिक्स सॉल्यूशंस को अपनाने पर बल दिया जा रहा है। बिजनेस इंटेलिजेंस (या BI) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से व्यवसायों को कार्रवाई योग्य जानकारी हासिल करने में मदद मिल रही है। इस तरह, डेटा साइंटिस्ट की मांग बढ़ रही है जो डिजिटल इंडिया के भविष्य को आकार दे रही है।
2- प्रदर्शन कला और योग में डिग्री: भारत की सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध रही है। यहां की लोक-कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाते हुए देश के इतिहास के प्रति लगाव को और बढ़ाने के लिए, आधिकारिक प्रशिक्षण, प्रमाणन या डिग्री प्राप्त करना बेहद महत्वपूर्ण है। हमें इस बात को भी भूलना नहीं चाहिए कि, ये गतिविधियां स्वतंत्र रूप से काम करने वाले लोगों को पूरे सम्मान के साथ आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर अपने कौशल को निखारने का अवसर देती हैं। इसके अलावा, ऐसे कौशल के प्रति लगाव रखने के साथ-साथ उद्यमी विचारधारा वाले लोगों को अपने करियर का रास्ता मिल जाता है, जो अपने उद्यम के जरिए आध्यात्मिकता, फिटनेस डांस, थिएटर और बेहतर मानसिक सेहत की तलाश करने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य का अनुभव प्रदान कर सकते हैं।
3- अनुसंधान एवं विकास में डिग्री: नई शिक्षा नीति में विस्तार-उन्मुख मानसिकता और आलोचनात्मक सोच पर विशेष ध्यान देते हुए अनुसंधान आधारित अध्ययन पर काफी बल दिया गया है। मौजूदा अंतराल को दूर करने के लक्ष्य के साथ किए गए अध्ययन से उद्योग जगत को अपनी कई कमियों से मुक्त होने में मदद मिलेगी, और अंतराल के दूर होने से बेहतर परिणाम और अधिक फायदा प्राप्त होगा।
4- वोकेशनल स्किल ट्रेंनिंग के लिए कोर्स: पिछले कुछ सालों के दौरान, ग्राफिक/वेब डिजाइनिंग, होटल मैनेजमेंट, मेडिकल असिस्टेंस जैसे प्रोफेशन के लिए कौशल-आधारित शिक्षा में बड़ी तेजी से उछाल आया है। हालांकि, बहुत अधिक कामकाज वाले क्षेत्रों से ध्यान हटाकर ज्वैलरी डिज़ाइनर, ऑटोमोबाइल कस्टमाइज़ेशन, मेकअप आर्टिस्ट जैसे कला के क्षेत्र से जुड़े करियर विकल्पों की ओर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है, जो उपभोक्ताओं की लगातार बढ़ती जरूरतों को पूरा करते हैं। इस तरह के पेशों में प्रमाणित शिक्षा को जोड़ने से अर्थव्यवस्था के अनौपचारिक क्षेत्र की अहमियत और बढ़ जाती है।
5- रियल एस्टेट में सर्टिफिकेशन: रियल एस्टेट क्षेत्र ने बड़ी तेजी से लोगों को रोजगार दिया है और जीडीपी के विकास की गति को बढ़ाया है। आने वाले समय में युवाओं के लिए रियल एस्टेट में उद्यम की शुरुआत करना, उनकी प्रगति और आर्थिक विकास को बढ़ाने वाला साबित होगा। इसके अलावा, रियल एस्टेट से जुड़े अन्य क्षेत्रों, जैसे कि कानून, मार्केटिंग, आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग, इत्यादि में औपचारिक शिक्षा से उन पेशेवरों के लिए अवसरों में बढ़ोतरी होगी, जो इस उद्योग जगत में तरक़्क़ी करना और आगे बढ़ना चाहते हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति न केवल युवाओं की मानसिकता को नया आकार देने में बेहद कारगर है, बल्कि यह नई सदी के युवाओं के साथ-साथ जेन एक्स (60-70 के दशक) के लोगों को भी पुराने मानदंडों पर पुनर्विचार करने तथा उद्योग जगत की मौजूदा मांगों एवं प्रवृत्तियों के अनुरूप अपने कौशल को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
लेख डॉ. निरंजन हीरानंदानी के निजी विचार हैं।