DIVORCE TEMPLE: हम सभी छोटे से ही भगवान के मंदिर के बारे में सुनते आए हैं। आप सभी ने लोगों ने भगवान के विभिन्न मंदिरों के बारे में तो सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी Divorce Temple या तलाक मंदिर के बारे में सुना है? क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक मंदिर ऐसा भी है जिसे Divorce temple के नाम से जाना जाता है। अगर नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज हम आपको इस खबर के इससे जुड़े हर सवाल का जवाब देंगे।
कहां स्थित है 'तलाक मंदिर'
आपके मन में चल रहा होगा कि आखिर ये अनौखा मंदिर कहां स्थित है। यह Divorce Temple जापान के कनागवा प्रांत में स्थित है। जापान के कनागवा प्रांत में कामाकुर शहर में स्थित मतसुगाओका तोकेई जी (Matsugaoka Tokei-ji Temple) मंदिर को ‘डिवोर्स टेंपल’ के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर कोई नया नहीं है बल्कि इसका इतिहास लगभग 600 साल पुराना है।
महिलाओं के लिए दूसरा घर
Divorce Temple पढ़कर से आप सभी के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि क्या इस मंदिर में तलाक होते हैं? अगर ऐसा है तो फिर इसे मंदिर या टेंपल नाम से क्यों संबोधित करते हैं। आपको बता दें कि इस Divorce Temple में कोई तलाक नहीं होता। कोई भी इंसान इस मंदिर में तलाक देने नहीं जाता। बल्कि ये मंदिर तो महिलाओं के लिए एक तरीके से वरदान है, यह महिलओं के लिए दूसरा घर है। इस मंदिर को उस दौर में बनाया गया था जब महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं होते थे और वे घरेलु हिंसा और प्रताड़ना का शिकार होती थीं। ऐसी महिलाओं को सहारा देने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया, जो उनके लिए दूसरा घर बन जाता था।
कुछ समय बाद मिल जाती थी शादी को खत्म करने की परमिशन
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण बुद्धिस्ट नन काकुसान शीडो-नी (Kakusan Shidō-ni) ने करवाया था। 12वीं और स13वीं शताब्दी के दौरान जापान में महिलाओं की स्थिति बेहद खराब थी, उनके पास कोई भी अधिकार नहीं थे। अगर वहां के मर्द अपनी शादी से खुश नहीं थे, तो वे बिना कारण बताए सिर्फ एक औपचारिक तलाक पत्र, "साढ़े तीन पंक्तियों का नोटिस" के सहारे तलाक दे देते थे। घरेलू हिंसा का शिकार और अपनी शादी से जो महलिलाएं खुश नहीं थी, उनके लिए ये मंदिर ही सहारा बन जाता था और दूसरा घर। इस मंदिर में कुल समय रहने के बाद उन महिलाओं को अपने शादी के रिशते को तोड़ने की इजाजत दी जाती थी। कुछ समय बाद ये मंदिर उन औरतों को आधिकारिक रूप से तलाक के सर्टिफिकेट भी देने लगा था। आज, यह मंदिर महिला सशक्तिकरण और स्वतंत्रता के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में खड़ा है।
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