मार्केट में जब कोई कंपनी अपना प्रोडक्ट लॉन्च करती हैं, तो वह एक बारगी हर तरफ छा जाता है। इन प्रोडक्ट में तो कई ऐसे होते हैं, जिनके स्लोगन व पंच लाइन सालों तक लोगों को याद रहते हैं और ये आम बोलचाल के हिस्सा बन जाते हैं। कस्टमर को अट्रैक्ट करने और मार्केट में अपनी जगह बनाने के लिए कंपनियां कई माह तैयारी करती हैं। कंपनी के सैकड़ों कर्मचारी और अधिकारी कड़ी मेहनत कर प्रोडक्ट को सफलता दिलाते हैं। हालांकि किसी भी प्रोडक्ट के सफलता में सबसे अहम रोल प्रोडक्ट मैनेजर की होती है।
न्यू प्रोडक्ट को बनाने से लेकर बाजार में लॉन्च करने तक के पूरी प्रक्रिया में मुख्य भूमिका प्रोडक्ट मैनेजर ही निभाता है। यही कारण है कि कंपनियां इन प्रोफेशल्स को शानदार पैकेज पर हायर करती हैं। हालांकि यह कार्य इतना भी आसान नहीं होता है। प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर करियर बनाने के लिए कई स्किल का होना भी जरूरी होता है। यहां पर हम कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिनकी मदद से प्रोडक्ट मैनेजर के करियर को सफल बनाया जा सकता है।
कर्मचारियों की समस्याओं और जरूरतों पर दें ध्यान
प्रोडक्ट मैनेजर का काम होता है कि वे टीम में कार्य कर रहे सभी कर्मचारियों को एक साथ जोड़कर उनके क्षमता के अनुसार कार्य ले। अगर आप अपनी टीम की वैल्यूज का सम्मान करके उन्हें मैनेज करते हैं, तो वे अपना बेस्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। इसलिए कर्मचारियों की समस्याओं और जरूरतों पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।
कर्मचारियों की प्रशंसा और प्रोत्साहित करें
एक सफल प्रोडक्ट मैनेजर वहीं बन सकता है, जो अपने कर्मचारियों की काबिलियत और क्षमताओं को पहचानकर उसकी प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करें। अच्छे मैनेजर जानते हैं कि भीड़ में कुछ लोग ही प्रोडक्टिव होते हैं। ऐेसे कर्मचारियों की योग्यताओं की पहचान कर उनके स्किल को निखारें। इससे दूसरे कर्मचारी भी प्रोत्साहित होंगे।
सभी को जिम्मेदारी सौपें
प्रोडक्ट मैनेजर का कार्य टीम में कार्य कर रहे दूसरे लोगों को अच्छा काम करने की स्किल सिखाना होता है। इसलिए टीम के सदस्यों को समय-समय पर ऐसी जिम्मेदारी या कार्य दें जिन्हे गलत होने पर सुधारा जा सके। इससे कर्मचारियों को भी सीखने का मौका मिलेगा और वे अपनी पूरी क्षमता से कार्य करेंगे।
कर्मचारियों के बॉस नहीं, साथी बनें
प्रोडक्ट मैनेजर को कभी भी खुद को बॉस समझने की भूल नहीं करना चाहिए, बल्कि खुद को टीम का हिस्सा और उनका साथी समझना चाहिए। इससे कर्मचारी किसी भी तरह की समस्या आने पर आपको खुलकर उसके बारे में बता सकेंगे और समय रहते उसे दूर किया जा सकेगा। इससे टीम वर्क क्षमता भी विकसित होती है।