तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने मंगलवार को बड़ा दावा किया है। आर एन रवि ने एक मंच से कहा कि राज्य की यूनिवर्सिटिज में इतिहास और पॉलिटिकल साइंस में बीए और एमए सिलेबस में कथित "विकृतियों" पर चिंता व्यक्त की और दावा किया कि सिलेबस द्रविड़ आंदोलन की कहानियों से भरा हुआ है। राज्य यूनिवर्सिटिज के चांसलर रवि ने राजभवन में तमिलनाडु के राज्य और प्राइवेट यूनिवर्सिटिज के वाइस चांसलर के दो दिवसीय सम्मेलन के समापन अवसर पर बोलते हुए दावा किया कि सिलेबस में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है।
हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया
राज्यपाल ने आगे कहा कि तमिलनाडु के लोगों ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और राज्य के हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के कई हजार युवा नेताजी की आजाद हिंद फौज में शामिल हुए और अंग्रेजों के खिलाफ लड़े और कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। रवि ने आगे कहा, "देवकोट्टई और पेरुंगमनल्लूर में स्वतंत्रता सेनानियों के नरसंहार को भुलाया नहीं जा सकता, न ही पोलिगर्स (सामंती सरदारों) के प्रतिरोध और पलायमकोट्टई में लोकप्रिय विद्रोह को भुलाया जा सकता है, जिसमें कई हजार तमिलों को अंग्रेजों ने मार डाला था।"
नमक आंदोलन को मिला भारी समर्थन
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने 16 से ज़्यादा बार राज्य का दौरा किया और स्वदेशी आंदोलन और नमक आंदोलन को तमिलनाडु में भारी समर्थन मिला और राज्य के लोगों ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि जब अंग्रेजों ने बंगाल का सांप्रदायिक विभाजन किया तो तमिलनाडु में बहुत बड़ा विद्रोह हुआ और इसने महान स्वतंत्रता सेनानी वी ओ चिदंबरम पिल्लई को राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
द्रविड़ आंदोलन की कहानियों से भरा पड़ा सिलेबस
रवि ने कहा, "पंजाब में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने तमिलनाडु के लोगों को आक्रोशित कर दिया और युवा कामराज को अपनी पढ़ाई छोड़कर राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने के लिए प्रेरित किया। तमिलनाडु ने स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके कुछ उदाहरण मात्र हैं। तमिलनाडु के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ताने-बाने पर ब्रिटिश शासन के प्रभाव को सिलेबस से पूरी तरह हटा दिया गया है। इसके बजाय सिलेबस द्रविड़ आंदोलन की कहानियों से भरा पड़ा है।"
लोगों की पीड़ा को मिटाना शहीदों का "अपमान"
उन्होंने आगे दावा किया कि सभी आंदोलन, खास तौर पर अय्या वैकुंदर का अय्यावाजी आंदोलन, वल्लालर का सन्मार्ग आंदोलन और दलित नेता स्वामी सहजानंद के नेतृत्व में नंदनार आंदोलन "पूरी तरह से छूट गए।" उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में लाखों तमिलों के दुख और बलिदान व अंग्रेजों के हाथों अनगिनत लोगों की पीड़ा को मिटाना हमारे अनगिनत शहीदों का "अपमान" है और हमारे पूर्वजों के सच्चे इतिहास और बलिदान को नकारना है। इससे हमारे युवाओं में राष्ट्रवाद की भावना भी कमजोर हुई और एक ऐसा माहौल बना जिसने हमारे युवाओं को भावनात्मक रूप से मुख्यधारा से अलग कर दिया।
ये भी पढ़ें:
12वीं पास कर ली अब ग्रेजुएशन में लेने जा रहे एडमिशन? जान लें ये अहम नियम; मिल जाएंगे एक्स्ट्रा नंबर
12वीं पास होने के बाद साइंस स्ट्रीम वाले कौन से क्षेत्र में बनाएं अपना करियर, ढ़ेरों हैं विकल्प