नई दिल्ली: नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र सरकार ने एक बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने किया है। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिया है कि अब कक्षा 1 में किसी भी बच्चे का 6 साल से कम उम्र के बच्चों का एडमिशन नहीं किया जाएगा। यानी अब कक्षा में 1 में एडमिशन लेने वाले बच्चों की उम्र कम से कम 6 साल होनी ही चाहिए। बता दें कि पहले यह उम्र सीमा 5 साल थी। शिक्षा मंत्रालय ने आगे बताया नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक, 5 साल की उम्र बच्चे की सीखने और फंडामेंटल स्टेज है। बता दें कि अभी देश के अलग-अलग राज्यों में पहली कक्षा में एडमिशन की उम्र अलग-अलग हैं।
अलग-अलग थी उम्र सीमा
देश के 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां 6 साल की उम्र से पहले बच्चों को पहली कक्षा में एडमिशन लेने की अनुमति थी। गुजरात, तेलंगाना, लद्दाख, असम और पुडुचेरी ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां 5 साल के बच्चों का भी पहली कक्षा में एडमिशन हो जाता था। पिछले साल मार्च में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल पर इसकी जानकारी दी थी। बता दें कि अभी भी कई राज्यों में ये उम्र सीमा अलग-अलग है।
इन राज्यों में 5 साल से अधिक उम्र होने पर ही होता है एडमिशन
राजस्थान, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, गोवा, झारखंड और केरल जैसे राज्यों में क्लास 1 में एडमिशन लेने के लिए बच्चों की उम्र 5 साल से अधिक होनी जरूरी है। 28 मार्च 2022 को जब शिक्षा मंत्रालय ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट सौंपी तो उन्होंने इस रिपोर्ट में कहा कि पहली कक्षा में एडमिशन की आयु सीमा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार न होने के चलते अलग-अलग राज्यों में शुद्ध नामांकन अनुपात की माप प्रभावित हो रही है।
यहां जानें क्या है 'जादुई पिटारा'
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत केंद्र सरकार अलग-अलग तरह के बदलाव कर रही हैं, जिससे शिक्षा क्षेत्र में नई क्रांति आने की उम्मीद लगाई जा रही है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत सरकार ने हाल ही में बच्चों के लिए एक नया स्टडी मटेरियल तैयार कराया है। जिसका नाम 'जादुई पिटारा' रखा गया है। इस 'जादुई पिटारा' को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में लॉन्च किया था। बता दें, 'जादुई पिटारा' फाउंडेशन लेवल के बच्चों के लिए है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने इसे लेकर बताया था कि ये एलिमेंट्री लेवल के बच्चों में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी पैदा करने में मददगार साबित होगा। इस पिटारे में बच्चों के लिए खिलौने, कठपुतलियां, दिलचस्प कहानियां उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त बच्चों के लिए खेल, चित्रकला, नृत्य और संगीत पर आधारित शिक्षा भी जादुई पिटारा में शामिल की जाएगी।
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