NEET एग्जाम के जरिए छात्र एमबीबीएस, बीडीएस जैसे मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन ले पाते हैं। पूरे देश में इसी एंट्रेंस एग्जाम से छात्र इन कोर्सों में एडमिशन ले पाते हैं, पर तमिलनाडू सरकार इस परीक्षा को खत्म करने पर तुली हुई है। इसे लेकर राज्य सरकार ने दो बार विधानसभा में बिल भी पास किया, पर गर्वनर बीच में अडंगा बन गए और बिल कानून न बन सका। इसके अलावा तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 14 अगस्त को राष्ट्रपति को लेटर भी लिखा है। तमिलनाडु सरकार ने 2 बार विधानसभा में एंटी नीट बिल पास किया लेकिन तमिलनाडु के गवर्नर ने इसे मंजूरी नहीं दी जिसके बाद गवर्नर और सरकार के बीच इस विषय को लेकर ठनी हुई है। इसी कारण 20 अगस्त को DMK की स्टूडेंट्स विंग, यूथ विंग और डॉक्टर्स विंग इकाइयां पूरे तमिलनाडु में नीट के खिलाफ प्रोटेस्ट भी करेंगी।
राज्य सरकार के अपने तर्क
नीट को खत्म करने को लेकर राज्य सरकार के अपने तर्क भी हैं। राज्य सरकार का मानना है कि नीट के जरिए सिर्फ शहरी बच्चे ही एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन ले पा रहे हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे, जिनेक पास सुविधाओं की कमी होती है, वे एडमिशन नहीं ले पाते हैं। सीएम ने राष्ट्रपति को लिखे लेटर में यह मांग कि है कि राज्य को नीट से छूट दी जाए ताकि छात्रों को आत्महत्या से बताया जा सके।
+2 के नंबरों पर एडमिशन देने की बात
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के लिखे लेटर में कहा है कि मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन के लिए नीट आधारित मेडिकल चयन प्रक्रिया शहरी छात्रों और उन लोगों का पक्ष लेती है जो महंगी कोचिंग क्लासेज अफोर्ड कर सकते हैं, जबकि ये परीक्षा गरीबों के खिलाफ है क्योंकि वे कोचिंग क्लासेज अफोर्ड नहीं कर सकते इस कारण उनका सिलेक्शन नहीं हो पाता और वे सुसाइड करने पर मजूबर हो जाते हैं इसलिए तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का लगातार विरोध कर रही है। हमारा विचार रहा है कि सिलेक्शन प्रोसेस केवल +2 नंबरों के माध्यम से होनी चाहिए, जो कि एक अलग एंट्रेंस एग्जाम के बजाय स्कूली शिक्षा का रिजल्ट है, जो छात्रों पर एक तरह से तनाव है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास लंबित
हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए.के. राजन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गए, जिसने अपना रिकमेंडेशन भी भेज दिया है। इस रिपोर्ट के बेस्ड पर तमिल नाडु सरकार ने सदन में तमिल नाडु एडमिशन टू अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्सेस बिल 2021 पास किया था। जिसे गवर्नर के पास भेजा गया था। फिर 5 माह बाद राज्यपाल ने इस लौटा दिया। जिस कारण इसे फिर 8 फरवरी 2022 को विधान सभा में पेश किया गया और पुनर्विचार के बाद पास किया गया और फिर राज्यपाल के पास भेजा गया, और फिर राज्यपाल ने इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिया, इसके बाद से ही मामला लंबित है। आगे पत्र में नीट के कारण हुई छात्रों की आत्महत्या का भी जिक्र किया गया है साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि इस बिल के पास होने से ये आत्महत्याएं रुक सकती हैं।