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सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR की सिफारिशों पर लगाई रोक, संस्था ने उठाया था मदरसों में पढ़ाई का मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट ने आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए NCPCR की सिफारिशों पर रोक लगा दी है, जिसमें संस्था ने कहा था कि मदरसों के बच्चों को फॉर्मल एजुकेशन नहीं मिलता, लिहाजा बच्चों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर किया जाए।

Reported By : Atul Bhatia Written By : Shailendra Tiwari Updated on: October 21, 2024 12:43 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

देश में इन दिनों मदरसों में हो रही पढ़ाई का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने   एनसीपीसीआर की सिफारिशों पर रोक लगा दी है, जिसमें शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन न करने वाले मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य द्वारा दी जाने वाली धनराशि रोकने और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक स्कूलों में दाखिला देने की बात कही गई थी। साथ ही राज्यों से गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का आग्रह किया गया था।

3 जस्टिस की बेंच ने की सुनवाई

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट की दलीलों को सुना कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के सिफारिशों और कुछ राज्यों की परिणामी कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों की कार्रवाई को भी मामले में चुनौती दी है, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया है।

कोर्ट ने यूपी और त्रिपुरा के कार्रवाई पर लगाई रोक

कोर्ट ने मामले में आदेश दिया कि इस साल 7 जून और 25 जून को जारी एनसीपीसीआर के सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। आगे यह भी कहा कि राज्यों के परिणामी आदेशों पर भी रोक रहेगी। साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम संस्था को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को अपनी याचिका में पक्ष बनाने की भी अनुमति दी।

क्या की थी सिफारिश?

जानकारी दे दें कि NCPCR ने केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को एक पत्र लिखकर मदरसों का फंड न देने की सिफारिश की थी। आयोग ने पत्र में कहा था कि मदरसे गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित रख रहे हैं, ऐसे में इन संस्थानों को राज्य द्वारा दिए जाने वाले फंड रोक देने चाहिए।

NCPCR ने पिछले दिनों सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के चीफ सेकेट्री को पत्र लिखकर सभी मदरसों को सरकार की ओर से मिलने वाली फंडिंग को बंद करने/मदरसा बोर्ड को बंद करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा, संस्था ने मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसे से बाहर निकलकर शिक्षा के अधिकार के तहत ज़रूरी शिक्षा के लिए दूसरे स्कूलों में दाख़िला करवाने के लिए कहा था। साथ ही मदरसों में पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों को औपचारिक स्कूलों में दाखिला देने का निर्देश दिया था।

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