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सीबीएसई के 10वीं, 12वीं के छात्रों की नहीं होगी परीक्षा फीस माफ, सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज की याचिका

कोरोना संकट के बीच सीबीएससी कक्षा 10 और 12 के छात्रों की परीक्षा फीस माफी से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 17, 2020 12:48 IST
CBSE- India TV Hindi
Image Source : FILE CBSE

कोरोना संकट के बीच सीबीएससी कक्षा 10 और 12 के छात्रों की परीक्षा फीस माफी से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है। इस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट सीबीएसई और दिल्ली सरकार को निर्देश दे कि वह वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में कक्षा 10 और 12 के छात्रों की परीक्षा शुल्क माफ करने की दिशा में मांग करे। यह याचिका कोरोना महामारी के चलते माता-पिता को होने वाली वित्तीय समस्याओं के मद्देनजर दाखिल की गई थी। 

CBSE 10th and 12th Exam Fees: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई एवं दिल्ली सरकार को कोविड-19 और कुछ अभिभावकों की वित्तीय समस्याओं के मद्देनजर मौजूदा अकादमिक वर्ष में 10वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्रों का परीक्षा शुल्क माफ करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के खिलाफ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'सोशल जूरिस्ट की याचिका खारिज कर दी।

पीठ ने कहा, ''कोई अदालत सरकार को ऐसा करने का निर्देश कैसे दे सकती है? आपको सरकार को यह प्रतिवेदन देना चाहिए... याचिका खारिज की जाती है।

CBSE 10th and 12th Exam Fees: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई एवं दिल्ली सरकार को कोविड-19 और कुछ अभिभावकों की वित्तीय समस्याओं के मद्देनजर मौजूदा अकादमिक वर्ष में 10वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्रों का परीक्षा शुल्क माफ करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश के खिलाफ गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'सोशल जूरिस्ट की याचिका खारिज कर दी।

पीठ ने कहा, ''कोई अदालत सरकार को ऐसा करने का निर्देश कैसे दे सकती है? आपको सरकार को यह प्रतिवेदन देना चाहिए... याचिका खारिज की जाती है।

उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को इस जनहित याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लेने और अदालत का आदेश प्राप्त होने पर तीन सप्ताह के अंदर कानून, नियमों एवं इस मामले के तथ्यों पर लागू सरकारी नीति के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

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