सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में प्रवेश के लिए उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक के पात्रता मानदंड को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। जज सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के.वी.विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह शर्त पहले भी थी और वह इस मामले में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये शिक्षा से जुड़े मामले हैं और उसे इस मुद्दे को विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहिए। पीठ ने कहा, “यह स्थिति हमेशा से थी, हम क्यों दखल दें?”
'परीक्षा पास करने की अधिक संभावनाएं'
सुप्रीम कोर्ट चंदन कुमार और अन्य द्वारा IIT में एंट्रेंस के लिए 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंकों की पात्रता मानदंड के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील ने तर्क दिया कि छात्रों को कोविड-19 महामारी के दौरान छूट दी गई थी और उन छात्रों के पास अब प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षा पास करने की अधिक संभावनाएं हैं।
वकील ने कहा, “उन्होंने संयुक्त प्रवेश परीक्षा, जेईई (मेन) में 98 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। ये मेधावी छात्र हैं। कृपया उन्हें अनुमति दें।” वकील ने बताया कि आवेदक ने ‘जेईई मेन्स’ में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं और ‘जेईई एडवांस’ में उपस्थित होने के योग्य है। हालांकि, उसे प्रवेश नहीं मिलेगा भले ही वह पास हो जाए क्योंकि बोर्ड परीक्षा में उसके अंक 75 प्रतिशत से कम हैं।
इस साल जारी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) एडवांस विवरणिका के अनुसार, उम्मीदवारों को कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की आवश्यकता है।
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