नई दिल्ली: सीबीएसई की 12वीं कक्षा में इस वर्ष कुल 70,004 छात्र ऐसे थे जिन्होंने 95 से 100 प्रतिशत के बीच अंक हासिल किए हैं। इनमें से 9200 छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए आवेदन किया है। अब देश के कई प्रसिद्ध शिक्षाविद इसे कोविड के कारण की गई उदार मार्किंग मान रहे हैं। शिक्षाविद, विश्वविद्यालयों की दाखिला प्रक्रिया में व्यापक सुधार और बदलाव के पक्षधर हैं। बदलाव का पक्षधर स्वयं दिल्ली विश्वविद्यालय भी है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय का कहना है कि वह सीबीएसई द्वारा प्रदान किए गए अंकों का पूर्ण सम्मान कर रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल ने कहा,दिल्ली विश्वविद्यालय में जिस तरह से कई विषयों के लिए 100 फीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की गई है, वह हजारों मेधावी छात्रों को हतोत्साहित करता है। इस बार 12वीं की परीक्षाएं रद्द होने के कारण छात्रों को अंक प्रदान करने का एक फॉमूर्ला तय किया गया था। कोरोना महामारी के कारण इसे काफी उदार रखा गया, जिसके चलते बड़ी संख्या में छात्रों को शत प्रतिशत अंक हासिल हुए हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर दाखिला प्रक्रिया में बड़े बदलावों की बात कही है। अशोक अग्रवाल ने कहा कि हजारों छात्र 90 फीसदी से अधिक अंक लाकर भी दाखिला हासिल नहीं ले पा रहे हैं। यह स्थिति निराश करने वाली है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अन्य सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला देने की मांग विश्वविद्यालय प्रशासन एवं शिक्षा मंत्रालय के समक्ष रखी है।
इसके साथ ही सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) लागू करने की मांग भी प्रबल हो गई है। इसके तहत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लिया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू की जा सकती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं एकेडमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ हंसराज सुमन ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण 12वीं बोर्ड में अंक देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का कुछ स्कूलों ने दुरुपयोग किया, और अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों की परफॉर्मेंस को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया। डॉ हंसराज सुमन भी दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह बदले जाने के पक्षधर हैं। उन्होंने मांग की है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रवेश परीक्षा के आधार पर छात्रों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिला मिलना चाहिए। इसमें 12वीं कक्षा में हासिल किए गए अंकों को भी महत्व दिया जा सकता है। डॉ. सुमन ने कहा की बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं जो 12वीं कक्षा में शत प्रतिशत या उसके आसपास अंक लाने में कामयाब रहते हैं किंतु कॉलेज में सालाना स्कोर 70 फीसदी के आसपास रहता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति पीसी जोशी कह चुके हैं कि इस बार सीबीएसई के रिजल्ट में बड़ी संख्या में छात्रों को अच्छे अंक प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा है कि हम सीबीएसई व अन्य बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिजल्ट का पूरा सम्मान करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जा सकती हैं। कुलपति ने कहा है कि कॉलेजों द्वारा जारी की गई कटऑफ में यदि अधिक छात्र दाखिले के लिए योग्य पाए जाते हैं तो उन्हें एडमिशन देना होगा। ऐसी स्थिति में कॉलेजों की सीटें बढ़ाई जा सकती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में पहले से ही काफी हाई मेरिट जाती रही है। इन कॉलेजों में हिंदू कॉलेज, हंसराज कॉलेज, रामजस कॉलेज, दौलतराम कॉलेजों, एसआरसीसी और सेंट स्टीफन सरीखे कॉलेज शामिल हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा है कि इस बार मेरिट लिस्ट पहले के मुकाबले और अधिक ऊपर जाएगी। इस सबके बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालय में इस बार भी मेरिट के आधार पर ही दाखिला दिया जाएगा।
इस वर्ष सीबीएसई ने देशभर में कुल 13,04,561 छात्रों का 12वीं बोर्ड रिजल्ट घोषित किया है। कुल 13,04,561 छात्रों में से 12,96,318 छात्र 12वीं बोर्ड में उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें 70,004 छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने 12वीं कक्षा में 95 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए हैं। वहीं 1,50,152 छात्रों ने 90 से 95 फीसदी अंक हासिल किए हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति पीसी जोशी कह चुके हैं कि इस साल सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) लागू नहीं हुए हैं। ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय की कट-ऑफ घोषित करते समय सीबीएसई मानदंड का पालन किया जाएगा। कुलपति पीसी जोशी के मुताबिक यह निर्णय अभूतपूर्व कोविड स्थिति को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा है कि हम भारत सरकार के साथ हैं। हमारे प्रवेश मानदंड सख्ती से योग्यता के आधार पर होंगे। हम सीबीएसई बोर्ड की कसौटी का सम्मान करेंगे।