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दिल्ली यूनिवर्सिटी में हंगामे की वजह बन सकता है स्टूडेंट-टीचर रेश्यो विवाद, जानिए क्या है पूरा मामला

डीयू कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स लगाना आसान है, क्योंकि कॉलेज इन पदों को भरने में आरक्षण रोस्टर को लागू तो करते हैं, लेकिन एक एडहॉक पद को दो पदों में तब्दील कर देते हैं जो कि एक आरक्षित और दूसरा किसी अन्य श्रेणी के लिए बना देते हैं।

Edited By: India TV News Desk
Published : Nov 22, 2022 7:57 IST, Updated : Nov 22, 2022 7:57 IST
Delhi University
Image Source : PTI स्टूडेंट-टीचर रेश्यो विवाद की वजह से डीयू में हो सकता है हंगामा

दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग जो मंगलवार 22 नवम्बर को होने वाली है उसमें काफी हंगामा होने की संभावना है। इस मीटिंग में स्टूडेंट-टीचर रेश्यो को लेकर और एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील किए जाने पर भी बहस की संभावना है। शिक्षकों का आरोप है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षक-छात्र अनुपात को दुरूस्त करने के नाम पर जहां शिक्षकों की संख्या बढ़ाकर स्टूडेंट-टीचर रेश्यो ठीक किया जाना था, वहीं ऐसा ना करके कक्षाओं में , लैब में और ट्यूटोरियल में बड़े-बड़े ग्रुप बना दिए गए हैं।

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ हंसराज सुमन ने बताया है कि स्थायी और एडहॉक पदों पर होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों को कॉलेज, प्रिंसिपलों द्वारा इन पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर नियुक्ति कर रहे हैं। जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच के स्वीकृत पदों को एडहॉक से गेस्ट टीचर्स में तब्दील करने संबंधी कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है। इन पदों में सबसे ज्यादा पद एससी, एसटी, ओबीसी, पीडब्ल्यूडी और EWS कोटे के हैं।

EWS के कारण छात्रों की 25 फीसदी सीटें बढ़ी 

एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों का कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में EWS के कारण छात्रों की 25 फीसदी सीटें बढ़ी हैं और कॉलेजों ने उन पर एडमिशन भी किया है। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभी तक 10 फीसदी अतिरिक्त शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने और उनका रोस्टर पास कर विज्ञापन निकालने के लिए सर्कुलर जारी नहीं किया है। उन्होंने बताया है कि यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों से EWS कोटे की सीटों के बढ़ाने के आंकड़े तो मंगवा लिए, लेकिन आज तक सीटें नहीं दीं। इस मुद्दे पर भी मीटिंग में हंगामा हो सकता है।

डॉ. सुमन ने बताया कि विभिन्न कॉलेजों ने अपने यहां एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स रखने के विज्ञापन निकाले, जबकि उन कॉलेजों में एडहॉक पदों पर नियुक्ति की जा सकती है। डीयू कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स लगाना आसान है, क्योंकि कॉलेज इन पदों को भरने में आरक्षण रोस्टर को लागू तो करते हैं लेकिन एक एडहॉक पद को दो पदों में तब्दील कर देते हैं जो कि एक आरक्षित और दूसरा किसी अन्य श्रेणी के लिए बना देते हैं।

बिना बात-विचार के लिए गया फैसला

डॉ. सुमन का कहना है कि यूनिवर्सिटी नीति के अनुसार, नए पदों को अस्थायी एडहॉक व्यवस्था के माध्यम से भरा जा सकता है, जब तक कि पदों को स्थायी आधार पर लंबे समय से नहीं भर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करना है या इस व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करना था या नीति को बदलना है तो यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल में इस मुद्दे को लाना चाहिए था, लेकिन बिना एसी और ईसी में पास किए इसे लागू कर दिया गया।

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