
स्कूली छात्रों और उनके मात-पिता के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। जहां महाराष्ट्र में राज्य के सभी स्कूलों की टाइमिंग बदल दी गई है। ये फैसला शिक्षा विभाग ने बढ़ती गर्मी को देखते हुए लिया है। शिक्षा विभाग ने गर्मी को देखते हुए छात्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि, मध्यम और प्रबंधन स्कूलों का समय सुबह के सत्र में होगा। सुबह के सत्र में प्राथमिक स्कूलों का समय सुबह 7 बजे से 11:15 बजे तक और माध्यमिक स्कूलों का समय सुबह 7 बजे से 11:45 बजे तक रहेगा। बता दें कि, यह आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू हैं, चाहे वे निजी तौर पर संचालित हों या सरकारी। सभी स्कूलों को अब तय की गई नई टाइमिंग पर ही बच्चों की कक्षाएं चलाने का आदेश है।
विदर्भ और कल्याण ग्रामीण में पारा पहुंचा 40 डिग्री सेल्सियस
महाराष्ट्र के विदर्भ और कल्याण ग्रामीण में बढ़ते तापमान को देखते हुए यह फैसला बच्चों के हित में लिया गया है। दोपहर में यहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि ने कहा कि ठाणे ग्रामीण और पुणे के साथ-साथ इन क्षेत्रों में दोपहर में बच्चों की कम उपस्थिति देखी गई है। इसलिए सरकार ने महाराष्ट्र में स्कूल के समय को बदलने का निर्णय किया है।
छात्रों को गर्मी से बचाने के लिए किए गए ये उपाय
छात्रों पर गर्मी की लहर के प्रभाव को कम करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। जहां स्कूलों को नए शेड्यूल के तहत चलाया जाएगा। शुक्रवार को, महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्रों के स्वास्थ्य पर गर्मी की लहरों के प्रभाव को कम करने के लिए स्कूल प्रशासन के लिए उपायों के साथ एक दिशा-निर्देश भी जारी किया। जिसमें बताया गया कि स्कूल के बच्चों के बाहरी या शारीरिक गतिविधियों पर रोक लगाना, खुले क्षेत्रों में कक्षाएं न लेना, कक्षाओं में पंखे चालू रखना और छात्रों को ठंडा पानी उपलब्ध कराने जैसे कुछ सुझाव शामिल हैं।
नई टाइमिंग को लेकर सामने आईं ये चुनौतियां
स्कूलों को नए आदेश के अनुकूल होने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 'दो-सत्र' के आधार पर चलने वाले स्कूलों को नए आदेश को लागू करना मुश्किल हो सकता है। इसी तरह के एक स्कूल के ट्रस्टी ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि जगह की कमी के कारण अधिकांश स्कूलों को दो सत्रों में कक्षाएं लेनी पड़ती हैं। सरकार की ओर से उन्हें इस बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं कि वे इससे कैसे निपटें। माता-पिता भी इन बदलावों के शिकार हैं, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों के आने-जाने का कार्यक्रम नई समय-सारिणी के अनुसार बदलना पड़ता है।
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