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IAS Training: IAS ऑफिसर से जानें सख्त ट्रेनिंग की पूरी कहानी, उन्हीं की जुबानी

IAS Training: आईएएस ऑफिसर की ट्रेनिंग दो साल की होती है। पहले चरण में ट्रेनी अफसर को सभी सेक्टर्स का सख्त प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि वे अलग-अलग जिम्मेदारियों को ढंग से अंजाम दे सकें। इसके बाद एक साल की फील्ड ट्रेनिंग होती है। जिससे वे नजदीक से कार्य का प्रशिक्षण ले सकें।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: September 01, 2022 16:26 IST
UPSC- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV UPSC

IAS Training: सरकारी जॉब हासिल करने की कोशिश कर रहे युवाओं से अगर उनके ड्रीम जॉब के बारे में पूछें तो लगभग सभी की पहली चॉइस आईएएस बनना होता है। यह एक ऐसी जॉब है जिसे पाने के लिए युवा सालों तक कड़ी मेहनत करते हैं। इस जॉब का सपना देखने वाला हर युवा यह भी जानना चाहता है कि एक आईएएस की ट्रेनिंग किस तरह से होती है और उन्हें क्या-क्या सिखाया जाता है। बता दें कि आईएएस अकादमी मसूरी में है। यहीं भावी आईएएस अफसरों को दो साल की ट्रेनिंग दी जाती है। एक आईएएस अफसर की ट्रेनिंग कैसे होती है, इस बारे में कई अफसर समय-समय पर परीक्षा की तैयारियों में जुटे युवाओं को मार्गदर्शन देते हैं। इन्हीं मार्गदर्शकों में एक हैं आईएएस ऑफिसर निशांत जैन।

फाउंडेशन कोर्स से ट्रेनिंग की शुरुआत

आईएएस अधिकारी निशांत बताते हैं कि मसूरी अकादमी में ट्रेनिंग की शुरुआत तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स से होती है। इस दौरान यूपीएससी एग्जाम में सलेक्ट किए गए सभी आईएएस, आईएफएस, आईपीएस और आईएएस एक साथ ट्रेनिंग लेते हैं। इस कोर्स में सभी को बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल के साथ मेंटल और फिजिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसमें हिमालय की कठिन ट्रैकिंग, इंडिया डे और विलेज विजिट जैसी एक्टिविटी शामिल हैं। इस दौरान अफसरों को किसी गांव में जाकर सात दिन रहकर गांव की जिंदगी के हर पहलू को बारीकी से समझना होता है।

एक साल की प्रोफेशनल ट्रेनिंग
फाउंडेशन कोर्स खत्म होने के बाद बाकी के सिविल सेवा के ट्रेनी अफसर अपनी अकादमी में चले जाते हैं। यहां पर सिर्फ ट्रेनी आईएएस ऑफिसर रहते हैं। फिर शुरू होती है उनकी प्रोफेशनल ट्रेनिंग। इसमें एडमिस्ट्रेशन और गवर्नेंस के हर सेक्टर पर मॉड्यूल होते हैं। इस दौरान इन्‍हें एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, रूरल डेवलपमेंट, एजुकेशन, हेल्थ, एनर्जी,  पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास जैसे सभी सेक्टर्स पर देश के जाने-माने एक्सपर्ट और सीनियर ब्यूरोक्रेट जानकारी देते हैं। इस ट्रेनिंग के दौरान स्थानीय भाषा भी सिखाई जाती है। जैसे अगर किसी ट्रेनी को साउथ के किसी राज्य का कैडर अलॉट हुआ है तो उसे वहां की स्थानीय भाषा सिखाई जाएगी। इस दौरान इन ट्रेनी अफसरों को दो महीने का विंटर स्टडी टूर कराया जाता है। इस टूर के दौरान ये राज्यों की राजनीति और संस्कृति को समझते हैं। साथ ही भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करते हैं।

फील्ड ट्रेनिंग में मिलती है बारीक जानकारी
प्रोफेशनल ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन ट्रेनी ऑफिसर को किसी एक जिले में असिस्टेंट कलेक्टर और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के रूप में फील्ड ट्रेनिंग दी जाती है। यह ऑन जॉब ट्रेनिंग होती है। इस दौरान ये जिला कलेक्टर के साथ रहकर एक साल की ट्रेनिंग लेते हैं। लोगों की समस्याएं सुनना और उन्हें सुलझाना, फील्ड इंस्पेक्शन, राज्य के कानूनों, लैंड मैनेजमेंट जैसे कार्यों में महारत हासिल करते हैं। फील्ड ट्रेनिंग पूरी होने के बाद जवाहरलाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) की तरफ से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर्स की डिग्री दी जाती है।

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