नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को देशभर में स्नातक स्तरीय चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के परिणाम घोषित करने की गुरुवार को अनुमति दे दी और कहा कि वह 16 लाख से अधिक विद्यार्थियों के परिणाम नहीं रोक सकता। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने एनटीए को नीट के परिणाम घोषित नहीं करने तथा दो अभ्यर्थियों के लिए फिर से परीक्षा कराने के निर्देश देने संबंधी बंबई उच्च न्यायालय के हालिया आदेश पर रोक लगा दी। दोनों विद्यार्थियों के प्रश्नपत्र और ओएमआर शीट महाराष्ट्र के एक परीक्षा केंद्र में आपस में मिल गए थे।
पीठ ने एनटीए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हैं। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी परिणाम घोषित कर सकती है।’’ इसने कहा, ‘‘हम अदालत के पुन: खुलने (दीपावली की छुट्टियों के बाद) पर दोनों विद्यार्थियों के बारे में निर्णय लेंगे। इस बीच हम जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करते हैं। लेकिन हम 16 लाख छात्रों के परिणाम नहीं रोक सकते।’’
बता दें कि, बंबई उच्च न्यायालय ने 20 अक्टूबर को एक अभूतपूर्व फैसले में एनटीए को आदेश दिया था कि दो अभ्यर्थियों के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाए और उनके परिणाम 12 सितंबर को हुई परीक्षा के मुख्य परिणामों के साथ घोषित किए जाएं। उच्च न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लिया था कि दो अभ्यर्थियों- वैष्णवी भोपाली और अभिषेक शिवाजी के प्रश्नपत्र और ओएमआर शीट परीक्षा शुरू होने से पहले परीक्षा केंद्र पर आपस में मिल गए थे। अदालत ने आदेश दिया था कि उन्हें नए सिरे से परीक्षा देने का अवसर मिले। शुरुआत में, विधि अधिकारी ने परिणामों की घोषणा पर उच्च न्यायालय के स्थगन का मुद्दा उठाया और कहा कि एनटीए उन छात्रों के भ्रम, यदि कोई हो, को सुधारने के लिए कार्य करेगा, जिनके प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट मिश्रित हो गए हैं।
नीट के अभ्यर्थियों-भोपाली और शिवाजी के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने छात्रों की समस्याओं पर विचार किया कि उन्हें "गलत उत्तर पुस्तिका" दी गई थी क्योंकि प्रश्न पत्रों की क्रम संख्या अलग थी और इसे पर्यवेक्षकों ने भी स्वीकार किया है। वकील ने कहा, ‘‘फिर जल्दबाजी में सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया। उदारता ही एक मात्र उपाय था। यह उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक सामान्य आदेश की तरह था।’’
पीठ ने कहा, ‘‘वे मेधावी विद्यार्थी हैं क्योंकि उन सभी ने योग्यता परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। निरीक्षक ने स्वीकार किया है कि गड़बड़ी हुई थी। हम छात्रों को बीच में कैसे छोड़ सकते हैं।’’ इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि वह 16 लाख से अधिक छात्रों के परिणाम नहीं रोक सकती है और दीपावली की छुट्टियों के बाद दोनों अभ्यर्थियों के मामले का फैसला कर सकती है। इससे पहले, एनटीए ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया।
एनटीए ने कहा था कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण परिणामों की घोषणा रुकी हुई है। स्नातक स्तर के मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिहाज से नीट परीक्षा आयोजित करने के लिए 2018 में एनटीए की स्थापना की गयी थी। एनटीए ने याचिका में कहा था कि 16,14,777 अभ्यर्थियों के लिए 202 शहरों में 3,682 केंद्रों पर 12 सितंबर को परीक्षा आयोजित की गई थी।