राजस्थान सरकार ने प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए 190 स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। इसमें से 169 स्कूल ऐसे थे जहां एक भी बच्चा नहीं पढ़ रहा था। ज्यादातर स्कूल पूरी तरह खाली थे, जबकि कुछ स्कूलों में नाममात्र के बच्चे पढ़ रहे थे। जानकारी के मुताबिक, कुछ स्कूलों में तो स्कूल टीचर और कर्मचारी बिना काम के सैलरी ले रहे थे। इस पर प्रदेश की भजनलाल सरकार ने एक्शन लिया है।
21 स्कूलों को पास के स्कूलों से किया गया मर्ज
प्रदेश के जीरो एडमिशन वाले 169 स्कूलों को बंद कर दिया गया है, जबकि 21 स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया गया है। जीरो एडमिशन वाले स्कूलों में कर्मचारियों को बिना किसी काम के हर महीने सैलरी भी मिल रही थी। ऐसे में राजस्थान प्राथमिक शिक्षा के निदेशक बीकानेर ने ऐसे 169 स्कूल को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। राजस्थान प्राथमिक शिक्षा के निदेशक बीकानेर ने दो नोटिस में इस बात की जानकारी दी। साथ ही शिक्षा मंत्री दिलावर की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि आज प्रदेश में संचालित 190 प्राइमरी और हायर प्राइमरी स्कूलों को समन्वित (मर्ज) किया गया है।
कई स्कूलों में था जीरो एडमिशन
मर्ज किए गए स्कूलों में 169 प्राइमरी और हायर प्राइमरी स्कूल तो ऐसे हैं जहां एक भी बच्चे का एडमिशन नहीं पाया गया। जिस कारण आरटीई मापदंडों के मुताबिक अध्यापकों के पद स्वीकृत करने के बावजूद भी टीचर उपलब्ध नहीं हो पाए थे और शिक्षा की क्वालिटी प्रभावित हो रही थी। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए जीरो एडमिशन वाले राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालय गांव के निकट अन्य प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है। ऐसे ही एक ही परिसर में संचालित 21 विद्यालयों को भी मर्ज किया गया है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आगे बताया कि एजुकेशन क्वालिटी में सुधार के मद्देनजर राज्य सरकार ने ये कदम उठाया है। इससे स्कूलों में संसाधन और पर्याप्त टीचर उपलब्ध हो सकेंगे। वहीं, कहा जा रहा कि बंद या मर्ज किए गए स्कूलों में 20 स्कूल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर के भी शामिल हैं।