नई दिल्ली)| साल 2021 के लिए बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द की जा रही हैं इस फैसले का सभी सेक्टरों के शिक्षाविदों ने स्वागत किया है। सुचित्रा अकादमी के संस्थापक और एफआईसीसीआई अराइस के सह-अध्यक्ष प्रवीण राजू ने कहा, "मौजूदा हालात को देखते हुए सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला सही है। बच्चों की सुरक्षा से समझौता कर हम परीक्षाएं आयोजित नहीं कर सकते थे। हमने फैसले का स्वागत किया है और हम आशा करते हैं कि हितधारकों के परामर्श से इसके तौर-तरीकों पर शीघ्रता से काम किया जाएगा। चूंकि 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों का विद्यार्थियों के करियर में काफी महत्व है इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि सीबीएसई यह सुनिश्चित करें कि उनकी प्रक्रियाओं से विद्यार्थियों को अंक देने की पद्धति प्रभावित न हों।"
निर्मल भारतीय स्कूल की प्रिंसिपल चारु वाही कहती हैं, "यह बच्चों के हित में लिया गया फैसला है। हालांकि, अगला कदम प्रक्रिया और मानदंड तय करने में समान रूप से महत्वपूर्ण है, जिसके आधार पर बच्चों के प्रदर्शन को आंका जाएगा। इसे यह ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए कि इनमें से कई अंतिम क्षण में अतिरिक्त प्रयास करते हैं और उन्हें इसका उचित लाभ मिलना चाहिए।"
एक और चुनौती जिसके लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से तत्काल समाधान की आवश्यकता है, वह है कक्षा 12 के छात्रों के लिए परिणामों का संकलन। सरकार को अभी इसके लिए सुपरिभाषित मानदंड तैयार करना है। विभिन्न हितधारकों ने अधिकारियों से अधिक व्यापक उपायों का चयन करने का आग्रह किया है, जो विद्यार्थियों के शैक्षणिक रिकॉर्ड और प्रदर्शन को सही ठहराते हैं।
सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, "बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का निर्णय छात्रों और शिक्षकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में लिया गया है। कई विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने इस फैसले से राहत की सांस ली है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान होने वाली बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं की अनिश्चितता से कई घबराए हुए हैं।
लेकिन अब हम अगली चुनौती की ओर बढ़ रहे हैं, जो इन विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक निष्पक्ष और विश्वसनीय मानदंड को अपनाना है। योग्य विद्यार्थियों को उनके वार्षिक प्रदर्शन के आधार पर ग्रेड या अंक आवंटित किए जाने चाहिए। यह एक चुनौती है, जिसके लिए बहुत सावधानीपूर्वक सोचने की आवश्यकता है। मुझे यकीन है कि स्कूल और बोर्ड इस चुनौती का सामना करेंगे और विद्यार्थियों के लिए कुछ अच्छा ही करेंगे।"
इसके अलावा, द हेरिटेज स्कूल के सीईओ विष्णु कार्तिक ने भी स्कूलों और विश्वविद्यालयों दोनों के लिए एक नई ग्रेडिंग सिस्टम को अपनाए जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा, "बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के निर्णय ने छात्रों और अभिभावकों के तनाव को कुछ हद तक कम किया है। कक्षा बारहवीं के बाद ही विद्यार्थी विश्वविद्यालय की दहलीज पर कदम रखते हैं इसलिए यह निर्णय लेना आसान नहीं था। हालांकि सरकार के पास और कोई विकल्प भी तो नहीं था क्योंकि सवाल विद्यार्थियों के भविष्य का था।
सीबीएसई के लिए अब चुनौती ग्रेड 12 अंक निर्धारित करने के लिए वैकल्पिक मानदंड पर पहुंचने की है। नए ग्रेडिंग मानदंड पर किसी भी तरह की देरी या कोई भ्रम छात्रों में और अधिक तनाव पैदा करेगा। देश के विश्वविद्यालयों को अपने प्रवेश मानदंडों को संशोधित करने के लिए स्पष्ट निर्देश भी प्रदान किए जाने चाहिए, ताकि योग्यता और निष्पक्षता से कोई समझौता न हो।"