दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों में दिल्ली की आधिकारिक भाषाओं में से एक पंजाबी की उपेक्षा पर गंभीर और गहरी चिंता जाहिर की है। एलजी ऑफिस के मुताबिक, पंजाबी भाषा की स्थिति पर पंजाबी अकादमी, जीएनसीटीडी द्वारा पेश की गई स्टेट्स रिपोर्ट से संबंधित फाइल का निपटारा करते हुए सक्सेना ने कई कमियों को बताया और इसकी पुन: गहन जांच करने की मांग भी की है।
रिपोर्ट को बताया अधूरा
जानकारी दे दें कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) ने एलजी को एक रिप्रजेंटेशन दिए जाने के बाद पंजाबी अकादमी, कला, संस्कृति और भाषा विभाग, जीएनसीटीडी द्वारा यह रिपोर्ट पेश की गई थी और बाद में एलजी सचिवालय द्वारा इसे एसीएल को भेज दिया गया था। यह देखते हुए कि विभाग द्वारा पेश रिपोर्ट अधूरी है और डीएसजीएमसी द्वारा उठाई गई चिंताओं के संबंध में पूरी तस्वीर को प्रतिबिंबित नहीं करती है।
एलजी ने जांच के दिए आदेश
इसके बाद सक्सेना ने मामले की गहन जांच का आदेश दिया है और मुख्य सचिव को सभी हितधारकों के साथ इस मुद्दे की जांच करने का निर्देश दिया है। एलजी कार्यालय ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि एलजी ने यह भी पाया है कि एसीएल विभाग को सबसे पहले इन एजेंसियों से पंजाबी शिक्षकों की मौजूदा रिक्तियों के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए थी और यदि कोई कमी है तो उसे दूर करने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए थी।
दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों स्कूलों में पंजाबी शिक्षकों की भारी कमी, फंडिंग में कमी आदि सहित कई गंभीर चिंताएं विभिन्न हितधारकों द्वारा एलजी के समक्ष पहले भी उठाई गई हैं।
स्कूलों में कई पद खाली
एलजी कार्यालय ने बताया कि शिक्षा विभाग, जीएनसीटीडी के स्कूलों में टीजीटी पंजाबी के 752 पद और पीजीटी पंजाबी के 4 पद खाली पड़े हैं, पंजाबी अकादमी वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इसे आवंटित मात्र 27.28 करोड़ रुपये के मुकाबले केवल 19.99 करोड़ रुपये ही खर्च कर सकी है।
बजट में की गई कटौती
चालू वित्त वर्ष में पंजाबी अकादमी के लिए बजट अलॉटमेंट में 17 प्रतिशत की कटौती की गई है। इसी तरह एमसीडी स्कूलों में पंजाबी शिक्षकों के लिए भी बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। शिक्षकों की इस गंभीर समस्या ने पंजाबी भाषा की शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे छात्रों में भाषाई कौशल और सांस्कृतिक समझ के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है।
अधिकारियों में गंभीरता की कमी
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सक्सेना ने यह भी पाया है कि जिन लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ पंजाबी अकादमी की स्थापना की गई थी, उन्हें प्राप्त करने के लिए संबंधित अधिकारियों की ओर से समग्र प्रयासों में गंभीरता की कमी है, जिससे पंजाबी भाषा, जो दिल्ली राजभाषा अधिनियम, 2000 के अनुसार दूसरी आधिकारिक भाषा है, के प्रचार, प्रसार और विकास तथा दिल्ली में इसके साहित्य और संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।