ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध होने के महज़ कुछ घंटों के भीतर ही ‘लम्हों की शबनम’ पुस्तक बेस्टसेलर रैंकिंग में आ गयी थी। लखनऊ से ताल्लुक़ रखने वाली कवयित्री मिश्रा ने उर्दू की ताज़गी और तासीर को अपने में ज़िंदा रखा। इसी मोहब्बत का परिणाम है कि अपनी कविताई को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के लिए उर्दू में भी लेकर आयी हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी एक कार्यक्रम के में सुमित्रा मिश्रा की कविताई की ख़ूब सराहना की थी। पुस्तक को देश के प्रसिद्ध साहित्यिक हस्तियों की सराहना लगातार मिल रही है। पुस्तक 'लम्हों की शबनम' डॉ. मिश्रा की व्यक्तिगत संवेदनाओं का दस्तावेज है। काम के दौरान लगातार व्यस्तताओं के बीच के अनुभवों को शब्दों में बांधने का काम कवयित्री मिश्रा ने किया है।
डॉ. मिश्रा की यह है 5 वीं पुस्तक
डॉ. मिश्रा की अब तक पांच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रखर प्रशासनिक अधिकारी के अलावा साहित्य जगत में अपनी अद्वितीय पहचान बनाने वाली डॉ. सुमिता मिश्रा की पढ़ाई अर्थशास्त्र को लेकर हुई है। यह आश्चर्य की बात है कि एक अर्थशास्त्री मन कवि हृदय में परिवर्तित हो गया।
सेवा और साहित्य का यही संगम डॉ. सुमिता को विशिष्ट बनाती है। बड़ी सहजता से वे इस संग्रह को अपने रचनात्मक उद्वेलन का प्रतिफल कहती हैं। निश्चय ही स संग्रह की कविताओं में उनके कार्यक्षेत्र का समय, समाज और उसकी विद्रुपताओं का भावनात्मक संयोजन होगा। एक सजग कवयित्री की दृष्टि, सरल भाषा में देखी और पढ़ी जा सकती है।