नयी दिल्ली। देश में वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये अब तक स्वीकृत 5,726 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में से 849 अभी तक चालू नहीं किये जा सके हैं। सरकार द्वारा संसद की एक समिति के समक्ष पेश आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, गरीबी रेखा वाले वंचित समूहों, अल्पसंख्यकों से संबंधित बालिकाओं की छठी से 12वीं कक्षा तक की शिक्षा के लिये आवासीय विद्यालय है।
शिक्षा मंत्रालय की अनुदान की मांगों 2021-22 के संबंध में संसद की स्थायी समिति के 323वें प्रतिवेदन की सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट के अनुसार, 'समग्र शिक्षा के तहत देश में कुल 5,726 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय स्वीकृत किये गए हैं जिनमें से 4887 विद्यालय चालू हैं और इनमें पांच अप्रैल 2021 तक 6.30 लाख लड़कियों का नामांकन हुआ है।' इस प्रकार अब तक स्वीकृत 5,726 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में से 849 विद्यालय अभी तक चालू नहीं किये जा सके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, देश के आकांक्षी जिलों में 1,016 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय स्वीकृत किये गए हैं जिनमें से 323 विद्यालय अभी चालू होना शेष है। सरकार ने की गई कार्रवाई में बताया कि हाल ही में परियोजना संबंधी अनुमोदन बोर्ड की बैठक में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को इन विद्यालयों को जल्द से जल्द चालू करने का निर्देश दिया गया है।
संसद के मानसून सत्र में पेश इस रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय समिति ने कहा है कि लड़कियों खास तौर पर अनुसूचित जाति, जनजाति से संबंधित बालिकाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना लैंगिक असमानता को कम करने और समतामूलक समाज के लिये अनिवार्य है। इसमें कहा गया है, समिति यह सिफारिश करती है कि 849 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को जल्द से जल्द चालू करने के लिये स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तत्काल कदम उठाया जाए । साथ ही आकांक्षी जिलों में 323 ऐसे विद्यालयों के चालू होने की ताजा स्थिति से समिति को अवगत कराये।
समिति ने विभाग से यह भी कहा कि देश के जिन जिलों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और लड़कियों की ड्रापआउट दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है, उनकी पहचान करने के लिये यथाशीघ्र एक सर्वेक्षण कराया जाए।