नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय देशभर में रिसर्च और विभिन्न आविष्कारों के पेटेंट पर जोर देगा। इसके लिए बकायदा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विशेष प्रावधान भी किए गए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत के वैज्ञानिक नए आविष्कार कर रहे हैं, हालांकि अपने आविष्कारों को पेटेंट कराने में अभी भी हम विश्व के अन्य देशों के मुकाबले पीछे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में बात करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "इस वैश्वीकृत विश्व में ग्लोबल माइंड सेट के साथ हमारी यह नीति इंडियन, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इंक्लूसिविटी के तत्वों को एक साथ समाहित करती है। यह हमारे छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होंगे और हमारी 'स्टडी इन इंडिया' पहल को गति देगी।"
पेटेंट के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा, "अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना करें, तो भारत पेटेंट के मामले में कुछ पीछे है। इसके लिए हमें उस खाई को पाटने की जरूरत है, जिसको ध्यान में रखते हुए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जा रही है।"
उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है कि मेक इन इंडिया, स्किल इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कैंपेन का उपयोग करके अपनी प्रतिभाओं को मौका देकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करें।"इसके अलावा डॉ. निशंक ने भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग सेंटर बनाने के लिए एनआईटी सिलचर को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भाषा किसी भी देश का मूल स्तंभ है और भाषाओं के संवर्धन के लिए एनआईटी का प्रयास सराहनीय है।
उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि समाज की भलाई के लिए, दुनिया के सबसे बड़े पोर्टल, युक्ती 2 पर वे अपने विचार शेयर करें। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' एनआईटी सिलचर के 18 वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में ऑनलाइन शामिल हुए। उन्होंने कहा कि एनआईटी सिलचर हमेशा से इस दिशा में अपना योगदान देता रहा है। इसके 56 विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट इस बात का सबूत हैं।
इसके अलावा इस संस्थान ने साइबर फिजिकल सिस्टम मिशन पर आधारित एक टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब भी बनाया है।भारत द्वारा अनुसंधान और विकास की दिशा में किये गए कामों के बारे में बात करते हुए डॉ. निशंक ने कहा, "भारत हमेशा से ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रयास करता रहा है।"