नीट यूजी पास कर डॉक्टर बनना देश के हर 10 में 8 युवा का सपना है। पर हर किसी का ये सपना पूरा नहीं होता। आज हम आपको ऐसे युवा की कहानी बताते हैं जो अपनी कम्युनिटी का पहला डॉक्टर बनने जा रहा। जी हां बिल्कुल सही पढ़ा आपने आजादी के 76 साल बाद उस समाज से एक लड़का डॉक्टर बनेगा, नाम है मंगला मुदुली।
नीट में 261वीं रैंक
मलकानगिरी जिले के गोविंदपल्ली ब्लॉक के मुदुलीपाड़ा पंचायत के तहत आने वाले बडबेल गांव के 19 वर्षीय बोंडा आदिवासी लड़के मुदुली ने कमाल कर दिया है, जिसके बारे में जनजाति के अन्य लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। एचटी में छपी खबर के मुताबिक, 19 वर्षीय यह लड़का आदिम कमजोर आदिवासी समूह से NEET परीक्षा पास करने वाला पहला शख्स बन गया है और अपने घर से 400 किलोमीटर से भी अधिक दूर गंजम जिले के बरहामपुर शहर में MKCG मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में MBBS कोर्स के लिए दाखिला लिया है। परीक्षा में अपने पहले प्रयास में, उसने इस वर्ष की परीक्षा में सफल घोषित किए गए आदिवासी उम्मीदवारों के बीच NEET में 261वीं रैंक हासिल की।
टीचर ने की मदद
किसान परिवार से आने वाले मुदुली ने मुदुलीपाड़ा एसएसडी हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की और एससी और एसटी विकास विभाग द्वारा संचालित गोविंदपल्ली में एसएसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हायर एजुकेशन हासिल की। उनके बड़े भाई ने पहले ही स्कूल छोड़ दिया था। नीट के सफर उनका तब शुरू हुआ जब वे साइंस से हायर सेंकेंडरी की पढ़ाई कर रहे थे, तो उनके एक टीचर ने उन्हें नीट परीक्षा देने के लिए कहा। साथ ही बालासोर के एक कोचिंग संस्थान में एडमिशन करा दिया।
इस कारण बनना चाहते हैं डॉक्टर
मुदुली ने अपने सपने के बारे में कहा, "मैंने अपने गांव में लोगों को इलाज कराने के लिए परेशान होते देखा है। अगर कोई बीमार पड़ जाता था, तो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक जाने के लिए मीलों तक पैदल चलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में, कई लोग झाड़-फूंक की मदद लेते थे। मैं इसे बदलना चाहता था।"
नहीं पता था नीट एग्जाम के बारे में
हालांकि, उन्हें नहीं पता था कि मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए NEET परीक्षा देनी होती है। मुदुली ने आगे कहा, "मुझे मेडिकल की पढ़ाई में एडमिशन लेने के लिए किसी एंट्रेंस एग्जाम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुझे लगा कि अगर मैं +2 में साइंस की पढ़ाई करूंगा तो मैं MBBS की पढ़ाई कर सकता हूं।" उनके साइंस टीचर ने ही उनकी मदद की और उन्हें एक मोबाइल फोन दिलवाया, जिससे उन्होंने स्टडी मटीरियल डाउनलोड किया। साइंस टीचर ने ही उन्हें एक कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलवाया।
कौन हैं बोंडा ट्राइब्स
बोंडा (जिन्हें बोंडो, बोंडास, बोंडा परजा और भोंडा के नाम से भी जाना जाता है) का अर्थ है 'नग्न लोग'। वे ऑस्ट्रो-एशियाई नस्लीय समूह से संबंधित हैं और रेमो-एक ऑस्ट्रो-एशियाई बोली बोलते हैं। बोंडा विशेष रूप से ओडिशा के मलकानगिरी जिले में पाए जाते हैं और ज़्यादातर जिले के खैरापुट ब्लॉक में केंद्रित हैं।
मंगला मुदुली एक ऐसी जनजाति से आते हैं जिसकी साक्षरता दर ओडिशा के सभी 62 जनजातियों में सबसे कम है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, ओडिशा में बोंडा जनजाति की साक्षरता दर महज 36.61% थी, जो की अन्य जनजातियों में सबसे कम है।
धर्मेंद्र प्रधान व नवीन पटनायक ने दी बधाई
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुदुली को उनकी सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने लिखा, "उन्होंने साबित कर दिया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। वे आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत हैं।"
पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लिखा: "दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मलकानगिरी जिले के मुदुलीपाड़ा बांदा घाटी के मंगला मुदुली इसका एक शानदार उदाहरण हैं। उनके दृढ़ संकल्प ने उनके लिए चिकित्सा की पढ़ाई का रास्ता प्रशस्त किया है। यह उपलब्धि सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।"
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