नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने इमरजेंसी मेडिकल में एमडी के लिए योग्यता-आधारित पोस्टग्रेजुएट ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। करिकुलम का उद्देश्य छात्रों को हाई-क्वालिटी वाली इमरजेंसी केयर देने और इमरजेंसी मेडिकल में टीचर, रिसर्चर और एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाना है।
पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईबी) द्वारा तैयार गाइडलाइन में सब्जेक्ट-स्पेसिफिक लर्निंग आउटकम, कंपेटेंशी, सिलेबस, टीचिंग और लर्निंग के तरीकों, असेसमेंट और रिकमेंडटेट टेक्सटबुक सहित अन्य पहलुओं पर चर्चा की गई है।
छात्रों को सिखाए जाएंगे ये काम
एमडी इमरजेंसी मेडिसिन के लिए एनएमसी दिशानिर्देशों के अनुसार, इस सिलेबस की मदद से छात्र इन कामों को कर पाएंगे:
- पूरी तरह फिजियोलॉकली स्टेबल मरीज की तेजी से देखभाल करना।
- बीमार रोगियों की पहचान करना, उन्हें पुनर्जीवित करने और स्थिर करने में सक्षम होना और यह भी जानना कि कब रुकना उचित है।
- फुल रेंज के कंप्लेसिटी वाले घायल मरीज की तेजी से देखभाल करना
- इमरजेंसी डिपार्टमेंट में सभी उम्र के बच्चों, उनके विकास के सभी स्टेज के बच्चों और बहुत बीमार बच्चों की देखभाल करना।
- क्लिनिकल सवालों के उत्तर देकर और सही फैसले लेकर इमरजेंसी डिपार्टमेंट टीम को मदद देना।
- जरूरी प्रोसिजर वाली स्किल देना।
- कार्यस्थल पर कंप्लेक्स एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटना।
- इमरजेंसी डिपार्टमेंट शिफ्ट का नेतृत्व करना।
- सपोर्ट, सुपरविजन और एजुकेट करना।
- रिसर्च में भाग लेना और डेटा को सही मैनेज करना।
- रोगी देखभाल की क्वालिटी और सेफ्टी में सुधार लाने के लिए गतिविधि में भाग लेना और उसे बढ़ावा देना।
- मैनेज, प्रशासन और नेतृत्व करना।
इसके अलावा, छात्रों को अस्पताल-पूर्व देखभाल, इमरजेंसी घाव मैनेजमेंट, पलमोनिरी इमरजेंसी, पेट में गैस संबंधी इमरजेंसी, इंवायरमेंटल चोटें, स्किन डिस्ऑर्डर, ट्रॉमा मैनेजमेंट, एब्यूज और असॉल्ट मैनेजमेंट आदि जैसी इमरजेंसी में दक्षताएं हासिल होंगी।
इमरजेंसी मेडिसिन में एम.डी: फाइनल एग्जाम, सीखने के तरीके
उम्मीदवार को 24 प्रोसिजर में परफॉर्म करना होगा और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियनों और इंटर्नस के टीचिंग एवं ट्रेनिंग कार्यक्रम में भाग लेना होगा।
इमरजेंसी मेडिसिन के पीजी छात्र को फाइनल एग्जाम में बैठने के योग्य होने के लिए नीचे दिए गए में से कम से कम एक काम करना होगा:
- अपनी विशेषता के राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य सम्मेलन में पोस्टर प्रेजेंटेशन
- अपनी विशेषता के राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य सम्मेलन में पोडियम प्रेजेंटेशन;
- अपनी विशेषता के जर्नल में पहले लेखक के रूप में एक रिसर्च पेपर पब्लिश करना या पब्लिश के लिए एक्सेप्ट होना।
यह भी जानना जरूरी
एनएमसी के दिशा-निर्देशों में आगे कहा गया है कि कार्डियक लाइफ सपोर्ट, ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट, एयरवे मैनेजमेंट, रिसर्च मेथोडोलॉजी, सुचरिंग और स्प्लिंटिंग के लिए बेसिक कोर्स पहले साल के अंत तक पूरा कर लिए जाएंगे और मैकेनिकल वेंटिलेशन, पीडियाट्रिक लाइफ सपोर्ट, नियोनेटल लाइफ सपोर्ट, नर्व ब्लॉक जैसे पाठ्यक्रम छात्रों को पांचवें सेमेस्टर के अंत तक पूरा करने होंगे।
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