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विदेश से एमबीबीएस करने वाले ध्यान दें! एनएमसी ने जारी की जरूरी एडवाइजरी; नहीं जानें नियम तो होगी दिक्कत

NMC ने विदेश से एमबीबीएस करने जा रहे छात्रों के लिए एक जरूरी एडवाइजरी जारी की है। जिसमें बताया गया कि उम्मीदवार को किसी बुनियाद पर भारत में प्रैक्टिस करने का मौका मिल सकता है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Nov 28, 2024 13:56 IST, Updated : Nov 28, 2024 13:56 IST
NMC- India TV Hindi
Image Source : NMC NMC

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने फॉरेन मेडिकल यूनिवर्सिटी या संस्थानों में एमबीबीएस (यूजी) में एडमिशन लेने के इच्छुक भारतीय छात्रों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें एनएमसी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंस (एफएमजीएल) रेगुलेशन, 2021 में दिए गए गाइडलाइंस का पालन करने पर जोर दिया गया है और उन संस्थानों में एडमिशन लेने के खिलाफ चेतावनी दी गई है जो इन मानकों को पूरा करने में असफल रहते हैं।

जारी की गई जरूरी एडवाइजरी

एनएमसी ने कहा कि विदेश में मेडिकल एजुकेशन हासिल करने के इच्छुक छात्रों को किसी भी विदेशी संस्थान में एमबीबीएस में एडमिशन लेने से पहले एफएमजीएल विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना जरूरी है। एडवाइजरी में इस बात पर जोर दिया गया है कि निर्धारित शर्तों, जैसे पाठ्यक्रम की अवधि, शिक्षण का माध्यम, पाठ्यक्रम या क्लिनिकल ट्रेनिंग से कोई भी विचलन भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए रजिस्ट्रेशन हासिल करने से अयोग्य हो जाएगा।

क्या कहा गया एडवाइजरी में

एनएमसी के आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, " कोर्स की अवधि, शिक्षा के माध्यम, सिलेबस, क्लिनिकल ट्रेनिंग या इंटर्नशिप/क्लर्कशिप में कोई भी बदलाव भारत में रजिस्ट्रेशन हासिल करने में अयोग्यता का कारण बन सकता है। अयोग्यता के मामले में, पूरी जिम्मेदारी केवल उम्मीदवार की होगी।"

यहां जानें क्या हैं जरूरी बातें

भारत में मेडिकल प्रैक्टिकल करने के लिए लाइसेंस नीचे दिए गए मानकों को पूरा करना होगा:

  • एमबीबीएस कोर्स की अवधि कम से कम 54 माह हो और उसी विदेशी चिकित्सा संस्थान में अतिरिक्त 12 माह की इंटर्नशिप भी हो।
  • विदेश से हासिल की हुई मेडिकल डिग्री इंग्लिश में होनी चाहिए।
  • ट्रेनिंग सहित कोर्स की कुल अवधि 10 सालों के भीतर पूरी होनी जरूरी है।
  • कोर्स के दौरान क्लीनिकल विषयों में हैंड्स ऑन ट्रेनिंग अनिवार्य है।
  • कमीशन में आवेदन करने के लिए भारत में 12 माह की इंटर्नशिप भी करनी जरूरी है।
  • सिलेबस और क्लीनिकल ट्रेनिंग भारतीय एमबीबीएस कोर्स के बराबर होना चाहिए जिसमें जनरल मेडिकल, शल्य चिकित्सा, बाल रोग, मनोचिकित्सा, प्रसूति विज्ञान आदि जैसे विशेष विषय शामिल हों।
  • विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स की मेडिकल डिग्री उस देश की नियामक निकाय द्वारा मान्य होनी चाहिए।
  • स्थायी रजिस्ट्रेशन के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) या अन्य अनिवार्य टेस्ट पास करना अति जरूरी है।
  • मेडिकल ग्रेजुएट को उस देश में उसके नागरिक के समान मेडिसिन की प्रैक्टिस की अनुमति मिलनी जरूरी है।

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