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MBBS छात्रों के लिए जरूरी खबर, एनएमसी ने वापस ली CBME गाइडलाइन; जानें क्या है कारण

एनएमसी ने CBME गाइडलाइन को रद्द कर दिया है। साथ ही कहा है कि जल्द ही वह संशोधित गाइडलाइन जारी करेगा।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: September 06, 2024 10:47 IST
 National Medical Commission- India TV Hindi
Image Source : NMC National Medical Commission

MBBS छात्रों के लिए बड़ी खबर आ रही है। भारी विरोध का सामना करने के बाद, आखिरकार नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने 31 अगस्त 2024 को जारी की गई एकेडमिक सेशन 2024-25 के लिए कंपीटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन करिकुलम (CBME) गाइडलाइनों को वापस ले लिया है। बीते दिन गुरुवार को जारी एक सर्कुलर के माध्यम से इसकी जानकारी दी। एनएमसी ने सूचित किए गए सर्कुलर में आगे संशोधन की जरूरतों का हवाला देते हुए गाइडलाइन्स को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।

सर्कुलर में क्या कहा गया

सर्कुलर में कहा गया है, "यह सूचित किया जाता है कि 31 अगस्त, 2024 के सर्कुलर, जिसके तहत कंपीटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन करिकुलम (सीबीएमई) 2024 के तहत गाइडलाइन जारी किए गए थे, को तत्काल प्रभाव से "वापस ले लिया गया है और रद्द" किया गया है।" साथ ही एनएमसी ने जल्द ही संशोधित संस्करण जारी करने का भरोसा भी दिया।

फिर से होगा जारी

सर्कुलर में आगे कहा गया है, "उपर्युक्त दिशा-निर्देशों को यथासमय संशोधित कर अपलोड किया जाएगा। यह सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से जारी किया जाएगा।" दिशा-निर्देशों में अप्राकृतिक यौन अपराध के रूप में सोडोमी (sodomy) और लेस्बियनिज्म जैसे विवादास्पद विषयों को शामिल किया गया था, जिन्हें संशोधित कर पुनः जारी किया जाएगा।

क्यों लिया गया वापस

इससे पहले, आयोग ने एमबीबीएस छात्रों के लिए सीबीएमई सिलेबस के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिन्हें 2024-25 एकेडमिशन सेशन से लागू किया जाना था। लेकिन इस पर भारी विरोध शुरू हो गए, जिसके बाद एनएमसी ने इसे वापस ले लिया है। नए करिकुलम में MBBS के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी टॉपिक में sodomy और lesbianism को अप्राकृतिक यौन अपराध के तौर पर बताया गया था जिसके चलते बीते कुछ दिनों से एनएमसी को एलजीबीटीक्यूआईए प्लस (LGBTQIA+) समुदाय का कड़ा विरोध झेलना पड़ा।

lesbianism के अलावा आयोग ने नए करिकुलम में हाइमन की अहमियत और उसके टाइप व कौमार्य (वर्जिनिटी), कौमार्य भंग, वैधता और इसके चिकित्सीय एवं कानूनी महत्व को परिभाषित करने जैसे विषयों को भी शामिल किया था, जबकि मद्रास हाईकोर्ट ने निर्देश देकर 2022 में इन सभी विषयों को खत्म कर दिया गया था। और तब आयोग ने संशोधन के समय इन सभी विषयों को सिलेबस से खत्म कर दिया था।

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