NEET के रिजल्ट जारी होने से पहले NMC ने MBBS कोर्स के लिए कई नियम बदल दिए हैं, जिन्हें मेडिकल छात्रों को जानना बहुत जरूरी हो गया है। बता दें कि नेशनल मेडिकल कमीशन यानी NMC ने MBBS कोर्स के लिए कुछ नियम जारी किए हैं। जारी किए गए नए नियमों के मुताबिक, MBBS करने वाले छात्रों को एडमिशन की तारीख से 9 साल के भीतर कोर्स पूरा करना होगा जबकि उन्हें फर्स्ट ईयर की परीक्षा पास करने के लिए सिर्फ कुछ अटेम्प्ट मिलेंगे। न्यू ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 2023 या जीएमईआर-23 में, एनएमसी ने बताया कि नीट-यूजी मेरिट लिस्ट के आधार पर देश के सभी मेडिकल संस्थानों में ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन के लिए एक सामान्य काउंसलिंग होगी।
फर्स्ट ईयर छात्रों को अब मिलेंगे इतने अटेम्प्ट
गौरतलब है कि एनएमसी ने दो जून के गजट नोटिफिकेशन में कहा, “किसी भी परिस्थिति में, छात्र को फर्स्ट ईयर (एमबीबीएस) के लिए 4 से अधिक अटेम्प्ट की परमिशन नहीं दी जाएगी और किसी भी छात्र को कोर्स में एडमिशन की तारीख से 9 साल बाद ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” कंप्लसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप रेगुलेशन, 2021 के मुताबिक ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स प्रोग्राम में भर्ती हुए छात्र को ग्रेजुएट तब तक पूरा नहीं माना जाएगा जब तक कि वह अपनी ‘रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप’ पूरी नहीं कर लेता।
मेरिट लिस्ट के आधार पर होगी काउंसलिंग
गजट में आगे बताया गया, “वर्तमान रेगुलेशन या अन्य एनएमसी रेगुलेशन में कही गई किसी भी बात के पूर्वाग्रह के बिना, नीट-यूजी की मेरिट लिस्ट के आधार पर भारत में सभी मेडिकल संस्थानों के लिए मेडिकल में ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन के लिए सामान्य काउंसलिंग होगी।” इसमें कहा गया कि काउंसलिंग पूरी तरह से एनएमसी द्वारा प्रदान किए गए सीटों के पैमाने पर बेस्ड होगी, बशर्ते साझा काउंसलिंग में कई चरण हो सकते हैं। अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) सामान्य काउंसलिंग के संचालन के लिए दिशा निर्देश पब्लिश करेगा और धारा-17 के तहत नामित अधिकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक काउंसलिंग का आयोजन करेगा।
(इनपुट- पीटीआई)
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