नई दिल्ली| भारत के शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को वैश्विक महर्षि महेश योगी संगठन एवं विश्व के महर्षि विश्वविद्यालयों की ओर से प्रतिष्ठित सम्मान 'अंतरराष्ट्रीय अजेय स्वर्ण पदक' के लिए चयनित किया गया है। सम्मान की घोषणा दो दिवसीय वर्चुअल अधिवेशन में की गयी जिसमे एक सौ दस देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसकी घोषणा करते हुए महर्षि संस्थाओं के वैश्विक अध्यक्ष डॉ टोनी नाडर ने कहा है कि डॉ निशंक ने अपने उत्कृष्ट लेखन एवं अपने सामाजिक और राजनैतिक दायित्वों द्वारा वैश्विक स्तर पर मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है।
डॉ निशंक को यह प्रतिष्ठित सम्मान इस वर्ष गुरुपूर्णिमा के अवसर पर प्रदान किया जायेगा। डॉ नाडर ने आगे बताया कि डॉ निशंक ने नई भारतीय शिक्षा नीति के माध्यम से भी सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों की स्थापना की दिशा में अद्वितीय कार्य किया है।
डॉ निशंक ने इस विशिष्ट सम्मान के लिए आभार प्रकट करते हुए इसे उन सभी कोरोना योद्धाओं को समर्पित कर दिया जो अपनी जान हथेली पर रख कर कोविड संक्रमितों की जान बचाने में लगे हैं। डॉ निशंक ने कहा कि उन्हें इस बात की अत्यंत प्रसन्नता है कि उनके लेखन, सामाजिक और सार्वजनिक जीवन में मानवीय मूल्यों की स्थापना करने के उनके प्रयासों को सराहा गया है।
अपने भावनात्मक उदबोधन में डॉ निशंक ने कहा कि वे अभी अभी कोविड संक्रमण से बाहर निकले हैं। उन्होंने इस पीड़ा को महसूस करते हुए अत्यंत नजदीक से डॉक्टर , नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पण , संघर्ष, कर्तव्यपरायणता और सेवाभाव को देखा है। उनके मुताबिक ये लोग दूसरों की जान बचाने की मुहिम में अपने प्राणों को संकट में डालते हैं ।
उन्होंने कहा '' अपने कोरोना योद्धाओं के बल पर हम अवश्य विजयी होंगे। ''डॉ निशंक ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि भारत ने अपनी नयी राष्ट्रीय शैक्षिक प्रणाली में सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को समाहित किया है । हमारी नीति का स्वागत विश्व के अनेको देशों में हो रहा है।
उन्होंने कहा '' मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत, समावेशी, नवचारयुक्त, गुणवत्तापरक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक नीति से हम भारत को पुन विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। इस नीति से हम मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित वैश्विक नागरिक तैयार कर पाएंगे जो विश्व के समक्ष चुनौतियों को अवसरों में बदलने की क्षमता से परिपूर्ण होंगे। ''
उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन धारा के अनुरूप सभी शास्त्रों के मूल आधार एवं मार्ग दर्शक वेद , उपनिषद , पुराण एवं स्मृतियां हैं। हमारी अजर -अमर भारतीय संस्कृति हमें एकता, समरसता, सहयोग, भाईचारा, सत्य, अहिंसा, त्याग, विनम्रता, समानता आदि जैसे मूल्य जीवन में अपनाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
उन्होंने कहा कि पारम्परिक ज्ञान परंपरा और भारत के शाश्वत जीवन मूल्यों पर वैज्ञानिक और व्यावहारिक शोध के लिए हम प्रतिबद्ध हैं ताकि इससे मानवता का कल्याण किया जा सके। उन्होंने सभी से अपील की कि एकजुट होकर कोविड संक्रमण का मुकाबला करें और अपनी पूरी सामथ्र्य अनुसार एक- दूसरे की मदद को आगे आएं।