Highlights
- अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित किए जाएंगे
- विश्वविद्यालयों ने शुरू की कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए तैयारियां
नई दिल्ली: देश के अधिकांश केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आगामी शैक्षणिक सत्र से दाखिले की प्रक्रिया बदल सकती है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूसीईटी आयोजित किए जाएंगे। इसी टेस्ट के जरिए सभी अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिला दिया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने इस संबंध में देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सूचित कर दिया है। यूजीसी से मिले आधिकारिक निर्देशों के बाद विश्वविद्यालयों ने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है। दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने 2022- 2023 शैक्षणिक सत्र के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को अनिवार्य भी कर दिया है।
इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने बकायदा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को लेकर विश्वविद्यालयों की एकेडमिक काउंसिल और एग्जिक्यूटिव काउंसिल में प्रस्ताव भी पास किए हैं। प्रमुख शिक्षाविद सीएस कांडपाल के मुताबिक यह एक नई व्यवस्था है जिसे अनुभव के आधार पर परखा जाएगा, अभी से इसके गुण दोषों पर टिप्पणी उचित नहीं है। शिक्षण संस्थानों को एक सकारात्मक बदलाव के तौर पर इसे देखना चाहिए। यह परीक्षा कई छात्रों के लिए नए द्वार खोलने में सक्षम है। यदि भविष्य में इन परीक्षाओं के आयोजन अथवा प्रक्रिया में कोई त्रुटि आती है तो उसे सुधारने की गुंजाइश है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हंसराज सुमन के मुताबिक सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के नाम पर कक्षा 12 के अंक पूरी तरह से खारिज नहीं किए जाएंगे। कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अपनी अकादमिक परिषद में सीयूसीईटी को मंजूरी दे दी है। लेकिन कक्षा 12 के बोर्ड परिणामों की भूमिका को महत्व देने का प्रावधान हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि लंबे समय से सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) लागू करने की मांग की जा रही है। इसके तहत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लिया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू की जा सकती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं एकेडमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ हंसराज सुमन ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण 12वीं बोर्ड में अंक देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का कुछ स्कूलों ने दुरुपयोग किया, और अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों की परफॉर्मेंस को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया। डॉ हंसराज सुमन भी दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह बदले जाने के पक्षधर हैं। हालांकि उनका कहना है कि इस दौरान वंचित वर्ग के छात्रों एवं गरीब छात्रों के हितों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रोफेसर सुमन के मुताबिक फिलहाल जिस रूप में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को लाया जा रहा है उससे कोचिंग सेंटर का महत्व बढ़ जाएगा और वंचित छात्र इस प्रक्रिया में पीछे छूट जाएंगे।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की नीति लागू कर दी गई है। यानी अब दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए केवल 12वीं कक्षा के अच्छे अंक काफी नहीं है। बल्कि देश के इस सबसे बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालय में अगले सत्र से दाखिले के लिए छात्रों को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट भी अच्छे नंबरों के साथ पास करना होगा।
शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी द्वारा दिए गए निदेशरें के बाद अब अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय भी इस और तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि अगले शैक्षणिक सत्र 2022 -2023 से दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय समेत अन्य ऐसे सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला केवल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से संभव हो सकेगा।
मौजूदा व्यवस्था के तहत अधिकांश विश्वविद्यालयों में 12वीं कक्षा में प्राप्त किए गए अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए अलग-अलग तिथियों पर संबंधित विश्वविद्यालय के फॉर्म भरने होते हैं। मनचाहे विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं मिल पाने पर छात्र उन विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों का रुख करते हैं जहां दाखिले के लिए सीटें शेष बची रह जाती हैं।
यूजीसी के अनुसार, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से आयोजित किया जाएगा।
(इनपुट- एजेंसी)