महाराष्ट्र की लातूर पुलिस को महाराष्ट्र ATS से मिले इनपुट के बाद NEET-UG पेपर लीक मामले की जांच करते हुए कई चौंकाने वाले सबूत हाथ लगे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक गंगाधर गुंडे की पहचान अन्य आरोपी शिक्षकों और एजेंटों के बीच एक सामान्य कड़ी के रूप में की गई है। जांच में सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि गुंडे बिहार में कई लोगों के संपर्क में था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये व्यक्ति छात्र हैं या बिहार में NEET-UG परीक्षा के पेपर में छात्रों की सहायता करने वाले एजेंट। लेकिन इतना साफ है कि बिहार के ये लोग NEET-UG परीक्षा से किसी ना किसी तौर पर जुड़े हुए थे। जांच के दौरान जिन NEET छात्रों के हॉल टिकट मिले उनमें से अधिकांश महाराष्ट्र के छात्रों के थे।
चार आरोपियों का कॉमन लिंक गुंडे था
अधिकारियों ने यह भी पाया है कि लातूर पुलिस ने जिन चार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, उनका कॉमन लिंक गुंडे था। गुंडे महाराष्ट्र के सांगली का निवासी है और वर्तमान में गुड़गांव में एक ऑटोमोबाइल कंपनी में काम करता है। गुंडे बिहार में कई लोगों के संपर्क में था। पुलिस को शक है कि वे NEET-UG के अभ्यर्थी या लीक मामले में शामिल स्थानीय एजेंट हो सकते हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने बिहार के इन लोगों की जानकारी बिहार में पेपर लीक मामले की जांच कर रही EOU को दे दी है। गुंडे बिहार में लोगों से व्हाट्सएप के जरिए संपर्क में था।
पुलिस को कुल 12 हॉल टिकट मिले हैं
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र ATS को शुरुआत में गिरफ्तार शिक्षकों, जलील, पठान और संजय जाधव के व्हाट्सएप अकाउंट पर 8 NEET छात्रों के हॉल टिकट मिले। लातूर पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उनके पास से चार और हॉल टिकट मिले हैं, जिससे कुल संख्या बारह हो गई है। पुलिस को आरोपियों के कब्जे से मिले राज्य सरकार के अन्य ग्रेड सी और ग्रेड बी परीक्षा के हॉल टिकटों की भी जांच की जा रही है।
जिनके हॉल टिकट मिले हैं उन छात्रों से संपर्क कर रही है पुलिस
लातूर पुलिस ने दो शिक्षकों को गिरफ्तार किया है और गंगाधर सहित ITI प्रशिक्षक इरन्ना कोंगलवार फरार है। साथ ही लातूर पुलिस ने इस मामले में दो और लोगों से पूछताछ की है। वे अब उन छात्रों और अभिभावकों से संपर्क कर रहे हैं, जिनके हॉल टिकट आरोपियों के पास पाए गए हैं।
4 तरह से मदद करने की देते थे आश्वासन
सूत्रों ने आरोपियों के काम करने के तरीके के बारे में बताया कि जैसे ही परीक्षा की तारीख सामने आई थी वैसे ही आरोपियों ने विद्यार्थियों को लुभाने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बना था। विद्यार्थियों का व्हाट्सएप ग्रूप बनाकर आरोपी उन्हें परीक्षा गलत रास्ते का इस्तेमाल कर पास करवाने का आश्वासन देते थे। आरोपियों ने बताया कि वे चार तरह से विद्यार्थियों की मदद करने का आश्वासन उन्हें देते थे।
- पहला रास्ता- पेपर लीक करके
- दूसरा रास्ता- पेपर में डमी परीक्षार्थी बैठना
- तीसरा रास्ता- परीक्षा का सेंटर उनके हिसाब से दिलवाना
- चौथा रास्ता- परीक्षा के दौरान विद्यार्थी अपना OMR sheet खाली छोड़ देगा और बाद में ये सही जवाब उसमे भर देंगे
सूत्रों ने बताया कि विद्यार्थियों को चारों रास्ते मे से जो पसंद है उसके हिसाब से आरोपी पैसों की मांग करते थे। पुलिस को मिले व्हाट्सएप चैट से पता चला है कि आरोपियों ने कई विद्यार्थियों से लाखों रुपये लिए हैं।
ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र: नीट मामले में कोर्ट ने एक शिक्षक को 2 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा, अन्य दो आरोपियों की तलाश जारी