अगर आप सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं को ये खबर आपके काम की है। NEET व NET विवाद के बीच UPSC ने एक बड़ा फैसला लिया है। यूपीएससी ने फैसला लिया है कि परीक्षाओं के दौरान धोखाधड़ी और फ्रॉड को रोकने के लिए वह फेशियल रिकॉग्निशन (चेहरे की पहचान) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी निगरानी प्रणाली का उपयोग करेगी।
निकाली गई बिड
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने हाल में इसके लिए बोली लागने वालों के लिए बिड निकाली है, ताकि परीक्षा प्रक्रिया के दौरान उपयोग किए जाने वाले दो टेक सॉल्यूशन- "आधार कार्ड बेस्ड फिंगरप्रिंट अथांटिकेशन, अभ्यर्थियों की चेहरे की पहचान और ई-एडमिट कार्ड की क्यूआर कोड स्कैनिंग" और "AI-बेस्ड सीसीटीवी सर्विलांस सर्विस"- विकसित किए जा सकें।
14 परीक्षाएं आयोजित करता है आयोग
जानकारी के लिए बता दें कि यूपीएससी एक संवैधानिक निकाय है, जो देश में 14 प्रमुख परीक्षाएं आयोजित करता है, जिसमें आईएएस,आईएफएस और आईपीएस के अधिकारियों का चयन करने के लिए सिविल सर्विस परीक्षा भी शामिल है। यूपीएससी इसके अलावा केंद्र सरकार के ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ पदों पर भर्ती के लिए हर साल कई भर्ती परीक्षाएं और इंटरव्यू भी आयोजित करता है।
यूपीएससी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को मजबूत करना और अभ्यर्थियों द्वारा कदाचार की संभावना को खत्म करना है। यूपीएससी ने कहा है कि वह इन डेटा का इस्तेमाल केवल परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों के आधार-बेस्ड फिंगरप्रिंट अथांटिकेशन और फेशियल रिकॉग्निशन के लिए करेगा।
ऐसे होगी पहचान
आयोग ने आगे कहा कि फेशियल रिकॉग्निशन के लिए दो फोटो का मिलान किया जाएगा, जिनमें एक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के दौरान दी गई और दूसरी परीक्षा के दिन ली गई तस्वीर का इस्तेमाल किया जाएगा। यूपीएससी ने कहा कि उसने देशभर में विभिन्न केंद्रों/स्थलों पर आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शामिल उम्मीदवारों और तैनात अन्य कर्मियों की विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रिकॉर्डिंग और लाइव टेलीकॉस्ट सिस्टम्स के साथ सीसीटीवी/वीडियो सर्विलांस लागू करने का फैसला लिया है।
(इनपुट- PTI)
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