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NCERT की किताबों में हुए बड़े बदलाव, बाबरी मस्जिद से लेकर गुजरात दंगे में हुए फेरबदल

NCERT ने कक्षा 11वीं व 12वीं की किताबों के पाठ में बड़े फेरबदल किए हैं। जिसमें बाबरी मस्जिद से लेकर गुजरात दंगे के टॉपिक भी शामिल हैं।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: April 05, 2024 17:35 IST
NCERT- India TV Hindi
Image Source : FILE NCERT की किताबों में हुए बड़े बदलाव

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने अपनी किताबों में बदलाव करते हुए अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गुजरात दंगों में मुसलमानों के मारे जाने और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में संशोधन किया है। एनसीईआरटी ने हालांकि संशोधित गए संदर्भों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि बदलाव रुटीन अपडेट का हिस्सा हैं और इसका संबंध न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के मुताबिक नई पुस्तकों के बदलाव से नहीं है।

पॉलिटिकल साइंस की किताबों में बदलाव

अधिकारियों ने आगे कहा कि यह बदलाव कक्षा 11 और 12 व अन्य की पॉलिटिकल साइंस की किताबों में किया गया है। एनसीईआरटी की सिलेबस मसौदा समिति द्वारा तैयार किए गए बदलावों के डिटेल देने वाले एक डाक्यूमेंट के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को "राजनीति में नवीनतम घटनाक्रम के अनुसार" बदल दिया गया है। कक्षा 11 की किताबों में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े पाठ 8 में पहले कहा गया था, "2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे।" संशोधन के बाद इस वाक्य को अब "2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए" कर दिया गया है। बदलाव के पीछे एनसीईआरटी ने तर्क दिया है, "किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों का नुकसान होता है। यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता।"

PoK के टॉपिक में भी हुआ चेंज

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर पहले की किताबों में कहा गया था, "भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान के रूप में जानकारी देता है।"। बदले हुए संस्करण में कहा गया है, "हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।" बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि "जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है"।

मणिपुर के टॉपिक पर भी बदलाव

मणिपुर पर, पहले की किताबों में कहा गया था, "भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर साइन करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में काफी गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसका अहसास अभी भी किया जा रहा है।" अब बदले हुए संस्करण में कहा गया है, "भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही।"

(इनपुट-पीटीआई)

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