
इंडिया टीवी स्पीड न्यूज एजुकेशन कॉन्क्लेव शुरू हो चुका है। इस मंच पर देश की शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर बात की जा रही है। इसी में से एक मुद्दा है कि आखिर कैसे भारतीय शैक्षिक संस्थान टरनेशनल स्टैंडर्ड को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे और पाठ्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। इस पर बात करने के लिए मंच पर EIILM कोलकाता के डायरेक्टर- प्रो. डॉ. रामा प्रसाद बनर्जी, Aspam स्टाटिश स्कूल के डायरेक्टर- आयुष गोयल और जीएलए डायरेक्टर प्रो. अनुराग सिंह मौजूद हैं।
भारत में आज 1100 से अधिक यूनिवर्सिटीज हैं और 42000 से अधिक करीबन कॉलेज हैं। लेकिन विडंबना देखिए जब बात होती है ग्लोबल रैंकिग तो भारत के यूनिवर्सिटी कॉलेज टॉप 5 में भी जगह नहीं बना पाते। जबकि भारत दुनिया में उच्च शिक्षा की कैटेगरी में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। ऐसे में वो कौन सी ऐसी वजह हैं जो भारत को दुनिया के सामने टॉप बनने पर रोकते हैं।
इस पर जवाब देते हुए कहा गया कि पहले तो हमें जानना होगा कि हमें किन-किन चीजों में ध्यान देने की जरूरत है, पहले तो हमें अपने इंफ्रास्टक्चर पर ज्यादा इंवेस्ट करने की जरूरत है जो अभी देश में कहीं नहीं दिख रही। दूसरा हमारा एक्सपोजर एजुकेशन में कम है। मुझे लगता है आने वाले समय में हम ग्लोबल स्टैंडर्ड से आगे निकल जाएंगे। साथ ही एजुकेशन सेक्टर में केंद्र सरकार को भी ज्यादा ध्यान देना होगा।
जब सवाल किया गया कि भारत में 50 फीसदी छात्र पास करने के बाद नौकरी के लायक नहीं है। इस पर बात करते हुए प्रो. डॉ. रामा प्रसाद बनर्जी ने कहा कि पैरेंट्स बच्चों को आजाद छोड़ दें। उन्हें अपने बड़े-बड़े नामों के तले दबाएं न रखें। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने दें। भारत की शिक्षा दुनिया से काफी आगे हैं, लेकिन हमें बताया गया कि हम इंटरनेशनल शिक्षा के मुकाबले कम है।
पूछा गया कि दुनिया के छात्र भारत आने चाहिए तो इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि देश में कुछ अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय यहां के यूनिवर्सिटी के साथ टाईअप है। हमें भारत में थोड़ा दुनिया से सस्ता एजुकेशन देना होगा। इसको से हम ग्लोबल स्टैंटर्ड से आगे निकल जाएंगे।