आईआईटी बॉम्बे से एक मामला सामने आया है जिसमें कुछ छात्रों ने एक नाटक आयोजित किया था। इसे लेकर अब आईआईटी बॉम्बे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है। आईआईटी बॉम्बे में संस्थान के परफॉर्मिंग आर्ट्स फेस्टिवल में ‘राहोवन’ नामक नाटक का मंचन किया था, जिसमें कहा गया कि वह रामायण के पात्रों का मजाक उड़ा रहे थे। छात्रों के एक ग्रुप ने दावा किया कि इन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। अब मामले को लेकर आईआईटी बॉम्बे ने 8 छात्रों पर कड़ी कार्रवाई की है। कथित तौर पर इस विवादित प्ले के लिए आईआईटी बॉम्बे ने एक्शन लेते हुए 8 छात्रों पर फाइन लगाया है।
छात्रों पर लिया बड़ा एक्शन
दरअसल आईआईटी बॉम्बे में मार्च माह में एक प्ले किया गया जिसमें आईआईटी बॉम्बे के कई विद्यार्थियों ने भाग लिया यह फेस्टिवल PAF यानी की द परफॉर्मिंग आर्ट फेस्टिवल जो कि आईआईटी बॉम्बे का एनुअल इवेंट है उसमें परफॉर्म किया गया। इस फेस्टिवल में जिस प्ले को परफॉर्म किया गया, जिसके किरदार रामायण से काफी ज्यादा मिलते जुलते थे और कहानी भी लगभग एक जैसी थी लेकिन किरदारों के नाम को बदल दिया गया था। जिसके बाद डिसीप्लिनरी एक्शन कमेटी बिठाई गई।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 8 मई को डिसीप्लिनरी एक्शन कमेटी की मीटिंग में प्ले में हिस्सा लेने वाले 4 छात्रों पर 1.2 लाख और अन्य अंडरग्रेजुएट 4 छात्रों पर 40000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, आईआईटी बॉम्बे के अधिकारियों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि डिसीप्लिनरी कमिटी द्वारा लिए गए एक्शन की कॉपी सोशल मीडिया पर क्यों सर्कुलेट हो रही है? आखिर क्या था पूरा मामला यहां विस्तार से जानें..
"राहोवन" नाम का किया गया नाटक
आईआईटी बॉम्बे के सांस्कृतिक उत्सव में 31 मार्च को परफॉर्मिंग आर्ट्स फेस्टिवल (पीएएफ) के हिस्से के रूप में "राहोवन" नामक नाटक का मंचन किया गया। कथित तौर पर यह नाटक, रामायण पर आधारित था। इस नाटक में भगवान राम के चित्रण के दौरान उनकी कथित आलोचना की गई। इस नाटक के मंचन के बाद कलात्मक स्वतंत्रता बनाम धार्मिक भावनाओं पर बहस फिर से शुरू हो गई है। आरोप है कि इस नाटक में नारीवादी मुद्दों को उजागर करने के लिए श्रीराम के चरित्र के साथ छेड़छाड़ किया गया था।
छात्रों द्वारा आर्ट फेस्टिवल में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें feminism (नारीवाद) के मुद्दे को प्रस्तुत करते हुए राम सीता का संवाद पेश किया गया था। कथित तौर पर यह आरोप लगाया जा रहा था कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और इसमें राम सीता के बीच हुए संवाद में कई विवादित बातें कही गई हैं। वहीं, ये भी कहा गया कि 31 मार्च की शाम कल्चरल फेस्ट में रामायण का नाम RAAHOVAN रख राम सीता का अपमान किया गया जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। पर ये भी है कि "राहोवन" की रचना को देखकर यह तो साफ तौर पर नजर आता है, कि इसकी प्रेरणा रामायण से ली गई है। लेकिन इसे एक कहानी के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई है जिसमें कबीले की कहानी और नाम में परिवर्तन किए गए हैं।
राम सीता संवाद में अपमानजनक बात
रावण वध के बाद सीता माता की जब वापसी होती है, उस वक्त के संवाद को पेश करते हुए ऐसा प्रस्तुत किया गया है कि राम सीता के ऊपर बल प्रयोग करते हुए उन्हें क्यों अपने कबीले का हिस्सा न बनाया जाए इस पर बात करते हैं और सीता अघोरा (रावण के लिए) कहती हैं कि वे असली मर्द है। साथ ही इस कबीले में आज तक ऐसा मर्द नहीं दिखा। सीता इसमें कहती हुई नजर आ रही है कि अच्छा हुआ अघोड़ा उसे वहां ले गया। हर बार की तरह इस बार भी रावण की कृत्यों को जस्टिफाई करने की कोशिश की गई है। जैसा कि अमूमन कई बार संवाद में सुनने को मिलता है कि रावण सीता को लंका ले तो गया लेकिन बिना उनकी मर्जी के उन्हें हाथ नहीं लगाया। इसी संवाद में आगे कहा जाता है कि आपने कभी कोई दानव मार ही नहीं यानि की राम का किरदार निभाने वाले व्यक्ति को यह कहा गया।
हालांकि इस मामले में आईआईटी बॉम्बे की तरफ से अभी तक कोई भी औपचारिक बयान नहीं दिया गया है। बस डिसीप्लिनरी एक्शन की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसे एक ट्विटर हैंडल के जरिए ट्वीट किया गया है।
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