Career In Petroleum Industry: इंजीनियरिंग की फील्ड में पेट्रोलियम एंड गैस इंडस्ट्री को सबसे हाई सैलरी देने वाला सेक्टर माना जाता है। इस सेक्टर में निचले स्तर पर नौकरी करने वाले इंजीनियर्स को भी लाखों का पैकेज मिलता है। यही कारण है कि इस इंडस्ट्री में युवाओं का रूझान कभी कम नहीं होता है। इस सेक्टर में इंजीनियर्स की नौकरी तेल और गैस ड्रिलिंग के साथ-साथ रॉकिंग और प्रोडक्शन करना होता है। अगर आप भी पेट्रोलियम इंजीनियरिंग टेक्निशियन के तौर पर अपना करियर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको पेट टेक्नोलॉजिस्ट बनना होगा। जिसके बाद आप शानदार करियर बना सकते हैं।
कैसे करनी होगी पढ़ाई
पेट टेक्नोलॉजिस्ट का कोर्स करने के लिए फिजिक्स, कमेस्ट्री और गणित के साथ 12वीं कक्षा की परीक्षा पास करना जरूरी है। इसके बाद IIT-JEE और AIEEE जैसी अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षाओं को क्रैक कर किसी अच्छे संस्थान में दाखिला ले सकते हैं। पेट टेक्नोलॉजिस्ट में चार वर्षीय बीटेक और दो वर्षीय एमटेक का कोर्स कराया जाता है।
जरूरी स्किल
इस फील्ड में नौकरी करने के लिए क्वालिफिकेशन के साथ-साथ कई स्किल की भी जरूरत पड़ती है। क्योंकि यहां पर डेटा प्रोसेसिंग का काम शानदार सॉफ्टवेयर्स की मदद से बेहद सोफिस्टिकेटेड हार्डवेयर्स पर किया जाता है। इनकी पूरी जानकारी होनी जरूरी है। साथ ही मशीनरी का ज्ञान और कठिन परिस्थितियों में तुरंत निर्णय लेने की क्षमता और टीम के साथ मिलकर नौकरी करनी भी आनी चाहिए।
ऐसे बना सकते हैं करियर
कोर्स पूरा करने के बाद छात्र इस इंडस्ट्री में प्रोसेस इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजिस्ट, फिजिक्स टेक्निशियन, इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजिस्ट, पेट्रोलियम टेक्निशियन जैसे जॉब प्रोफाइल पर रहकर नौकरी कर सकते हैं। इन इंजीनियर्स को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड, हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसी कंपनियां हॉयर करती हैं।
सैलरी मिलती है करोड़ों में
पेट्रोलियम इंजीनियर्स की जॉब को दुनिया की टॉप हाई पे सैलरी वाली जॉब्स में गिना जाता है। तेल कंपनियों को ऐसे प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होती है जो कम समय में ज्यादा से ज्यादा तेल और गैस निकाल सके। माना जाता है कि इन इंजीनियर्स की शुरुआती सैलरी ही 15 से 30 लाख रुपये सालाना के बीच रहती है। वहीं कुछ साल के अनुभव के बाद यह करोड़ों में पहुंच जाती है।