Highlights
- शिक्षा मंत्रालय अग्निवीरों के लिए 3 साल का डिग्री प्रोग्राम शुरू करेगा।
- इस डिग्री प्रोग्राम को भारत और विदेश, दोनों जगह मान्यता दी जाएगी।
- इस कोर्स को AICTE, NCVET और UGC ने भी विधिवत मान्यता दी है।
Agnipath Scheme: ‘अग्निवीरों’ के करियर की भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय (MoE) ऐसे रक्षा कर्मियों के लिए कौशल आधारित तीन-वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू करेगा, जो रक्षा प्रतिष्ठानों में उनके कार्यकाल के दौरान प्राप्त स्किल ट्रेनिंग को मान्यता देगा। अधिकारियों ने बुधवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) द्वारा डिजाइन किए जाने वाले डिग्री प्रोग्राम को रोजगार एवं शिक्षा के लिए भारत और विदेश, दोनों जगह मान्यता दी जाएगी।
अधिकारियों ने कहा कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स इस योजना के कार्यान्वयन के लिए IGNOU के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करेंगे। केंद्र ने मंगलवार को आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सैनिकों की भर्ती के लिए अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर 'अग्निपथ' नामक एक ‘परिवर्तनकारी’ योजना की शुरुआत की, ताकि बड़े पैमाने पर वेतन और पेंशन बिल में कटौती करने तथा सशस्त्र बलों के युवा प्रोफाइल को सक्षम बनाया जा सके। 'अग्निपथ' योजना के तहत, भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में 'अग्निवीर' के रूप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
IGNOU द्वारा डिजाइन यह प्रोग्राम नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत अनिवार्य रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) के मानदंडों के अनुरूप है। इसकी रूपरेखा को संबंधित नियामक निकायों, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) और UGC द्वारा विधिवत मान्यता दी गई है।
स्नातक की डिग्री के लिए आवश्यक 50% क्रेडिट अग्निवीर को कौशल प्रशिक्षण (तकनीकी और गैर-तकनीकी) से आएगा और शेष 50% भाषा, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, गणित, शिक्षा, वाणिज्य, पर्यटन, व्यावसायिक अध्ययन, कृषि और ज्योतिष, पर्यावरण अध्ययन और संचार कौशल में एबिलिटी इन्हान्समेंट कोर्स जैसे विषयों की एक विस्तृत विविधता को कवर करने वाले पाठ्यक्रमों से आएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘इस प्रोग्राम को छोड़ने के कई उपाय दिये गये हैं उनमें प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर ‘अवर-स्नातक सर्टिफिकेट’, प्रथम और द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर ‘अवर-स्नातक डिप्लोमा’ और 3 साल की समय सीमा में सभी पाठ्यक्रमों के पूरा होने पर डिग्री प्रदान की जाएगी।’