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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : भारतीय उच्च शिक्षा के भविष्य का पुनर्निर्माण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शुभारंभ से भारतीय उच्च शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत होगी, जो पहले से काफी बेहतर होगा और एक नये भविष्य का निर्माण करेगा। एनईपी 2020 एक उत्कृष्ट दूरदृष्टि का परिणाम है और एक प्रेरणादायक नीति दस्तावेज है

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 05, 2020 17:05 IST
National Education Policy 2020 Reconstructing the Future of...
Image Source : PTI National Education Policy 2020 Reconstructing the Future of Indian Higher Education

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शुभारंभ से भारतीय उच्च शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत होगी, जो पहले से काफी बेहतर होगा और एक नये भविष्य का निर्माण करेगा। एनईपी 2020 एक उत्कृष्ट दूरदृष्टि का परिणाम है और एक प्रेरणादायक नीति दस्तावेज है जो भारतीय उच्च शिक्षा के परिदृश्य में एक मूलभूत परिवर्तन का आगाज करेगा। इसके तहत भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की जटिलता और चुनौतियों को ईमानदारी और स्पष्टता के साथ पहचाना गया है।

इसके तहत मानव विकास की असाधारण क्षमता और जनसांख्यिकी लाभांश का उपयोग करने के लिए एक व्यापक बदलाव लाने के लिए एक दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है, जो कि भारत जैसे देश में बहुतायत में उपलब्ध है। एनईपी 2020 में भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र को फिर से परिभाषित करने के लिए 10 बड़े विचार इस प्रकार हैं-

1. उत्कृष्टता के उद्देश्य से विश्व स्तरीय शिक्षा : इसमें पूरी दृढ़ता से विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा प्रणाली के निर्माण की आकांक्षा की गई है और माना गया है कि यह भारत के भविष्य के लिए और ज्ञान परक समाज के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण और बेहद जरूरी है।

2. बहु-विषयक और उदार शिक्षा : इसमें एसटीईएम यानी साइंस, टेक्नोलोजी, इंजीनियरिंग और मेडिसिन में अध्ययन के साथ-साथ लिबरल आर्ट्स, मानविकी और सामाजिक विज्ञान पर जोर देने के साथ एक उदार, बहु-विषयक और अंतर-अनुशासनात्मक शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

3. विनियामक सुधार और सार्वजनिक-निजी विभाजन को तोड़ना : इसमें सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के पुराने अवरोधों और भेदों को दूर करके उच्च शिक्षा में मूलभूत और महत्वपूर्ण विनियामक सुधार किए गए हैं।

4. गुणवत्ता आश्वासन और पहुंच के साथ विस्तार : इसमें विस्तार, पहुंच, इक्विटी, समावेश और उत्कृष्टता से संबंधित नीति पर ध्यान केंद्रित किया गया है - ये सभी समान रूप से महत्वपूर्ण लक्ष्य और आकांक्षाएं हैं जिन्हें एक साथ पूरा करने की आवश्यकता है।

5. रिसर्च इकोसिस्टम : इसमें अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति पर जोर दिया गया है, जो भविष्य में उच्च शिक्षा की कल्पना के लिए केंद्र बिंदु है। साथ ही शिक्षा में उच्च जीडीपी निवेश की परिकल्पना करते समय, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के माध्यम से अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण धन प्रोत्साहन और अनुदान बनाने का प्रयास किया गया है।

6. फैकल्टी फोकस : यह मानते हुए कि संकाय सदस्य उच्च शिक्षा प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं, इसमें मेंटरिंग, रिटेंशन, प्रोत्साहन, उपलब्धियों और संकाय विकास कार्यक्रमों पर अधिक फोकस के साथ उत्कृष्ट फैकल्टी की भर्ती के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया है।

7. गवर्नेस और नेतृत्व : इसमें प्रशासन और संस्था-निर्माण के प्रयासों में गवर्नेस और नेतृत्व के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें संस्था की प्रभावशीलता के सभी पहलू नेतृत्व और प्रशासनिक ढांचों पर निर्भर होंगे।

8. शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता : इसमें डिग्री कार्यक्रमों की अवधि निर्धारित करने में पर्याप्त स्वतंत्रता और शैक्षणिक लचीलेपन के साथ वित्त पोषण, पाठ्यक्रम विकास, छात्र का नामांकन, और संकाय भर्ती में शैक्षणिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता के महत्व को रेखांकित किया गया है।

9. सार्वजनिक अनुदान और निजी परोपकार : इसने उच्च शिक्षा में जीडीपी निवेश में वृद्धि के साथ वित्त पोषण की रूपरेखा को मजबूत किया है और परोपकार पर जोर देते हुए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका को मान्यता दी गई है।

10. अंतर्राष्ट्रीयकरण, प्रत्यायन और डिजिटलीकरण : इसमें दुनिया भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ वैश्विक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीयकरण के महत्व की सराहना की गई है। इसमें विश्वविद्यालयों की मान्यता और वैश्विक बेंचमार्किं ग को गंभीरता से लिया गया है, जिसमें रैंकिंग भी शामिल है। इसमें उच्च शिक्षा के डिजिटलीकरण के लिए महत्वपूर्ण समर्थन और ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने और मौजूदा डिजिटल बुनियादी ढांचे के उन्नयन की आवश्यकता की परिकल्पना की गई है।

इन 10 बड़े सुधार पहलों के अलावा, एनईपी 2020 में एक नई और व्यापक और एकीकृत उच्च शिक्षा आयोग बनाने के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली के विनियामक वास्तुकला को भी फिर से परिभाषित किया है, इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर इसे 'शिक्षा मंत्रालय' के रूप में नामित किया गया है।

हालांकि, एनईपी 2020 को माननीय प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास के लिए माननीय केंद्रीय मंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप लागू करने के लिए, कुछ संस्थागत चुनौतियों और व्यवहार संबंधी पहलुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। संपूर्ण उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र और, विशेष रूप से, सरकारी एजेंसियों और नियामक निकायों को परिवर्तन, सुधार, पुन: कल्पना और परिवर्तन के निम्नलिखित 5 प्रमुख क्षेत्रों के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने की आवश्यकता है :

1. विश्वास निर्माण : हमें सरकारी एजेंसियों, नियामक निकायों और उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच विश्वास, सम्मान और कॉलेजियम की संस्कृति का निर्माण करने की आवश्यकता है। वर्तमान में, यह एक बड़ी चुनौती है और एक एकीकृत विकास तथा देश के लिए एक मजबूत उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए हमारे सभी प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

2. पारदर्शी और समीचीन निर्णय लेना : हमें समयबद्ध तरीके से सरकारी एजेंसियों और नियामक निकायों के भीतर तेजी से निर्णय लेने के लिए पारदर्शी और जवाबदेही आधारित तंत्र बनाने की जरूरत है। इस प्रयास में कई अड़चनें हैं और कीमती समय निर्णय लेने के विभिन्न पहलुओं में खो जाता है।

3. संस्थागत स्वतंत्रता : हमें उच्च शिक्षा संस्थानों को जिम्मेदारी के साथ निर्णय लेने और संस्थानों के साथ निहित जवाबदेही के लिए सशक्त बनाने की आवश्यकता है। अधिक शक्ति देने की आवश्यकता है और उस प्रक्रिया में उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए ताकि वे एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के लिए अधिक प्रभावी ढंग से योगदान कर सकें।

4. सक्रिय और भागीदारी परामर्श : हमें सरकारी एजेंसियों और नियामक निकायों द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ प्रचारक और सहभागी परामर्श तंत्र की आवश्यकता है, विशेष रूप से नए नियमों को लागू करना या मौजूदा नियमों में संशोधन करना जो संस्थानों को किसी भी तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। हितधारक परामर्श मॉडल जिसमें विनियमों के कारण प्रभावित होने वाले संस्थानों को नियमों के निर्माण से पहले अग्रिम में परामर्श करने की आवश्यकता होती है।

5. आईओई और स्वायत्त संस्थानों को सशक्त बनाना : हमें 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस' को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। जो विश्वविद्यालय वैश्विक रैंकिंग में उच्च स्थान हासिल करने के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों की दृष्टि को पूरा करते हैं, उन्हें और अधिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है।

हालांकि सभी हित धारकों के बीच विश्वास विकसित करने और नियामक प्रणाली में पारदर्शिता विकसित करने की जिम्मेदारी के साथ स्वायतता प्रदान करने तथा भागीदारी ढांचे के तहत संस्थानों को सशक्त बनाने के संबंध में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का प्रबंधन करने में सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सफलता के लिए अपरिहार्य हैं।

एनईपी 2020 भारतीय उच्च शिक्षा के इतिहास में निर्णायक क्षण है और इस नीति के प्रति हमारा रुख प्रशंसनात्मक है क्योंकि एनईपी 2020 का मसौदा तैयार करने में एनईपी समिति के अध्यक्ष डॉ कस्तूरीरंगन और उनके सहयोगी शामिल थे और जिन्होंने एनईपी 2020 के तहत वैसी सिफारिशें की जिनकी जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इस नीति का प्रभावी और समयबद्ध कार्यान्वयन की मदद से हम नई जमीन हासिल करेंगे।

(प्रोफेसर (डॉ.) सी राज कुमार एक विधि प्राध्यापक और विद्वान हैं जो हरियाणा के सोनीपत के जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति हैं।)

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