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अब डीयू में नहीं पढ़ाए जाएंगे सारे जहां से अच्छा... लिखने वाले मोहम्मद इकबाल, काउंसिल ने सिलेबस से हटाया

दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीते दिन सिलेबस में कई बदलावों को लेकर मंजूरी मिली है। इन बदलावों में शायर मोहम्मद इकबाल को सिलेबस से हटाना भी शामिल है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: May 27, 2023 11:12 IST
Muhammad Iqbal- India TV Hindi
Image Source : FILE मोहम्मद इकबाल

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार को सिलेबस में कई बदलावों को लेकर मंजूरी दी है। इस बदलाव को एकेडमिक काउंसिल ने मंजूरी दी है। इन बदलावों में शायर मोहम्मद इकबाल को बीए पॉलिटिक्स सांइस के सिलेबस से हटाना भी शामिल है। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है। आधिकारियों के मुताबिक काउंसिल ने विभाजन अध्ययन, हिंदू अध्ययन और जनजातिय अध्ययन के लिए नए केंद्र स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। जानकारी दे दें कि मो. इकबाल ने ही प्रसिद्ध गीत सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा लिखा था। इकबाल उर्दू और फारसी शायरों में से एक हैं। बंटवारे के बाद इकबाल पाकिस्तान चले गए थे, पाकिस्तान बनने में उनके भी विचारों को योगदान माना जाता है।

काउंसिल से अंतिम मंजूरी मिलने की जरूरत 

अधिकारियों ने बताया कि काउंसिल ने बीए पॉलिटिकल साइंस सिलेबल से पाकिस्तानी कवि मोहम्मद इकबाल पर लिखे गए एक चैप्टर को खत्म करने सहित कई सिलेबसों में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिस पर एग्जीक्यूटिव काउंसिल अंतिम फैसला लेगी। डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार को काउंसिल की बैठक में सिलेबस और विभिन्न केंद्र बनाने के प्रस्ताव पास किए गए है। रजिस्ट्रार ने आगे कहा कि विभाजन, हिंदू और जनजातिए अध्ययन के लिए केंद्र बनाने के प्रस्ताव पास किए गए हैं। मोहम्मद इकबाल को सिलेबस से हटा दिया गया है। जानकारी दे दें कि इकबाल को बीए पॉलिटिकल साइंस के पेपर आधुनिक भारतीए राजनीतिक विचार में शामिल किया गया था। जानकारी दे दें कि प्रस्तावों पर यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल से अंतिम मंजूरी मिलने की जरूरत होगी, जो 9 जून को मिलेगी।

सदस्यों ने किया विरोध 

बता दें कि काउंसिल में 100 से ज्यादा सदस्य हैं इकबाल को हटाने पर दिन भर विचार किया गया इनमें से 5 सदस्यों ने विभाजन अध्ययन के प्रस्ताव का विरोध किया और इसे विभाजनकारी कहा। एग्जीक्यूटिव काउंसिल की एक सदस्य ने बताया, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदस्यों की असहमति के बावजूद एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) पास किया गया। बता दें कि आईटीईपी अब B.El.Ed. प्रोग्राम की जगह लेगा, जिसे 1994 में पेश किया गया था। दिल्ली यूनिवर्सिटी एकमात्र यूनिवर्सिटी थी जिसका अपना एकीकृत चार वर्षीय कोर्स था। असहमति जताने वाले सदस्यों ने तर्क देते हुए बताया है कि ITEP पर NCTE की नोटिफिकेशन को सीधे काउंसिल में लाने के दौरान पाठ्यक्रम समिति और शिक्षा संकाय को पूरी तरह से दरकिनार किया गया। काउंसिल के सदस्यों के एक वर्ग ने भी इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि लेक्चर, ट्यूटोरियल और प्रैक्टिकल के ग्रुप आकार में बढ़ोतरी टीचिंग और टीचिंग प्रक्रिया को नकारात्मक रूप से प्रभावित करगी।

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