
मध्य प्रदेश पुलिस अब परीक्षाओं में नकल माफियाओं को जड़ से खत्म करने की कोशिश में जुटी हुई है। इसी सिलसिले में पुलिस ने एक बड़े साइबर क्रिमिनल ग्रुप की पहचान उजागर की है। जो बच्चों को पेपर का लालच देकर उनसे खूब पैसे लूटते थे। पुलिस ने इस मामले में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जिस आरोपी को गिरफ्तार किया है उसका नाम दीपांशु कोरी बताया गया है। उसकी उम्र महज 19 साल है और वह छिंदवाड़ा जिले के विवेक नगर वार्ड नंबर 4 नंदन दमुआ का रहने वाला है। पुलिस ने पहले इस मामले में शिवम यादव नाम के 20 वर्षीय युवक को पकड़ा जो दीनपुरा भिंड का रहने वाला है।
इन नामों से चलाते थे टेलीग्राम ग्रुप्स
इन लोगों के पास से अपराध में इस्तेमाल की गए 2 मोबाइल फोन, 2 सिमकार्ड जब्त किया गया है। अभी तक 4 टेलीग्राम ग्रुप्स पर कार्रवाई कर कुल 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। क्राइम ब्रांच ने आरोपियों के खिलाफ अपराध क्र.41/25 धारा – 319(2) BNS एवं 66 (सी) 66(डी) आईटीएक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। ये आरोपी टेलीग्राम ग्रुप @mpboardofficialyt, @mpboardofficialls नाम से चलाते थे। इसके अलावा जिन दूसरे ग्रुप पर FIR की गई है उनके नाम MP BOARD PAPER LEAK, SUPPLEMENT PAPER LEAK, MP BOARD PAPER LEAK 2025, MP BOARD PAPER LEAK 2024-25 और MP BOARD CLASS 12 PAPER 2025 हैं।
पेपर देने का झांसा देकर लूटते थे पैसे
क्राइम ब्रांच की दर्जनों अफसर की टीम ने 4 महीने मेहनत की इस दौरान उन्होंने हजारों टेलीग्राम ग्रुप खंगालने के बाद की दो आरोपियों की गिरफ्तारी है। ये ठग माध्यमिक शिक्षा मंडल के नाम से टेलीग्राम पर ग्रुप बनाते हैं। फिर बच्चों को 10वीं और 12वीं का पेपर देने का झांसा देकर फर्जी खातों में रुपये डलवाते हैं। पैसे लेने के बाद बच्चों को गुमराह करते और उन्हें बोर्ड का सैम्पल पेपर देते थे, टेलीग्राम पर बच्चों को झांसे में लेने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल के LOGO और नाम का इस्तेमाल करते हैं।
क्राइम ब्रांच की टीम बनी स्टूडेंट
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने बताया कि इन लोगों तक पहुंचने के लिए पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम स्टूडेंट बनकर हजारों टेलीग्राम ग्रुप के अंदर ज्वॉइन हुई, इसमें टेक्निकल टीम की बड़ी मेहनत की है, क्योंकि इन ग्रुप में लोग आसानी से ज्वॉइन नहीं कर पाते हैं। ये लोग हर व्यक्ति की प्रोफाइल चेक करते हैं और देखते हैं उनके लिए कोई प्रोफाइल संदेह वाला तो नहीं है, कोई इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी के लोग तो नहीं हैं। इससे पहले कुछ पुराने ग्रुप बंद हो चुके थे कुछ चालू थे हमने ग्रुप में से लिंक ढूंढे, यह एक सीजन का फ्रॉड होता है जो एग्जाम से पहले होता है, यह फ्रॉड दिसंबर-जनवरी और फरवरी के आसपास होता है। यह बच्चों को कहते हैं आप लिंक ज्वॉइन कीजिए आपको पेपर मिलेगा, यह हमेशा फर्जी पेपर देते कभी कोई साक्ष्य नहीं है कि ओरिजिनल पेपर है।
कुछ ग्रुप हमें आईडेंटिफाई हुए हैं- शैलेंद्र चौहान
एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच भोपाल शैलेंद्र चौहान ने इंडिया टीवी को बताया कि हमारी टीम इन ग्रुप्स में जुड़ती है। कई बार इस ग्रुप में कोई एक्टिविटी नहीं होती, कई बार ग्रुप को लंबे समय तक मॉनिटर करना पड़ता है कि हम लोग जिस एक्टिविटी को देख रहे हैं वह उसमें हो रही है कि नहीं। हर ग्रुप का मेंबर अपने मतलब की चीज डालता हमें उसकी मॉनिटरिंग करनी होती है और अपने मतलब की चीज निकालनी पड़ती है। फिर हम देखते हैं कैसे पेमेंट की बातें की जा रही, कैसे खातों की बात हो रही है, कैसे ठगी कर रहा है कि उस लिंक पर जाने का बोल रहे हैं, कई बार हमें सफलता नहीं मिलती।
शैलेंद्र चौहान ने आगे कहा मध्य प्रदेश सभी हिस्सों चाहे वह सुधीरपुर रीवा हो, पश्चिम में मंदसौर, उत्तर में भिंड, नीचे छिंदवाड़ा, हर जगह के ग्रुप्स को हमने आईडेंटिफाई किया। यह किसी और का नंबर लेकर किसी और लोकेशन पर काम करते हैं। हमने भिंड से छिंदवाड़ा से ग्रुप की पहचान की है, इनमें एक लाख मेंबर से 15000 मेंबर जुड़े हुए थे। इसमें कम पढ़े लिखे लोग होते है या फिर पढ़ाई छोड़ चुके लोग जुड़े होते हैं।
बच्चों से लूटे 15 लाख
शैलेंद्र चौहान ने आगे कहा कि इन क्रिमिनल्स का पीक समय होता है जब एग्जाम चलते हैं। तब पेपर की डिमांड होती है, लेकिन हमने इन्हें पहले ही पकड़ लिया इसलिए वह लोग मांग नहीं कर पाए जिस ग्रुप में 15000 मेंबर से उसमें मांग की गई थी। 800 से हजार लोगों से पैसे लेकर 15 लाख रुपए इकट्ठे किए गए थे। यह अलग से खाते की लिंक भेज देते थे कि आप पैसे भेजकर हमको स्क्रीनशॉट भेजिए। जांच में हमें क्रिप्टो वॉलेट मिला है जिसको हमने फ्रीज कर दिया।
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