Highlights
- पिछले लगभग 5 महीनों से चल रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध
- युद्ध की वजह से यूक्रेन से लौटे थे हजारों भारतीय मेडिकल छात्र
- भारत में अमान्य है मेडिकल की ऑनलाइन पढ़ाई
Medical Students News: रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से लगभग 18 हजार छात्र अपनी पढ़ाई छोड़कर वापस लौट आए थे। पिछले 5 महीनों से अभी भी वहां युद्ध चल रहा है। यूक्रेन की शिक्षा व्यवस्था समेत लगभग सभी व्यवस्थाएं बर्बाद हो चुकी हैं। कुछ यूनिवर्सिटी ऑनलाइन क्लास चल रही थीं लेकिन ज्यादातर छात्रों के सामने उनके भविष्य को लेकर संकट अभी भी बना हुआ है। ज्यादातर छात्रों की पढाई अधूरी है और अब यूक्रेन वापस जाकर पढ़ाई पूरी करना भी असम्भव है। जब छात्र यूक्रेन से वापस आ रहे थे तब भी यह सवाल पूछा जा रहा था कि अब इनका क्या होगा? और भी यह सवाल कायम जस का तस कायम है।
लेकिन अब सरकारी सूत्रों के हवाले से यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। कह्ब्रों के अनुसार, यूक्रेन से बड़े पैमाने पर स्वदेश लौटे मेडिकल छात्रों के बारे में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग NMC जल्द फैसला ले सकता है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस बारे में एनएमसी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करेगा। इसमें सभी को तो नहीं लेकिन जिन छात्रों की पढ़ाई पूरी होने के करीब है, उन्हें राहत मिल सकती है।
जल्द ही हो जायेगा निर्णय
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनएमसी को संभावनाएं तलाशने के लिए कहा गया था तथा इस मामले पर एनएमसी को ही अंतिम निर्णय करना है। निर्णय लेने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करेगा। हालांकि इसमें देरी हुई है लेकिन उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि यूक्रेन से लौटे करीब 14 हजार मेडिकल छात्र ऐसे हैं जो विभिन्न वर्षों की पढ़ाई कर थे। वहां अब वापसी के हालात नहीं हैं। ये छात्र भारतीय मेडिकल कालेजों में समायोजित करने की मांग कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर उन्होंने मार्च में ही सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी जिस पर कोर्ट ने MNC से जवाब दाखिल करने को कहा था।
पांच महीनों से अधर में छात्रों का भविष्य
हालांकि संसद में एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि यूक्रेन के पड़ोसीदेशों से भी बात की जा रही है जहां इन छात्रों को समायोजित किया जा सके। लेकिन इस मामले में विदेश मंत्रालय को अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है। नतीजा यह है कि पांच महीनों से छात्र अधर में लटके हुए हैं। कई छात्र अभी भी आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन आनलाइन मेडिकल पढ़ाई को देश में मान्यता नहीं है।
चीन से भी लौटे थे छात्र
इसी प्रकार में चीन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हजारों छात्र भी अभी देश में ही फंसे हुए हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद चीन ने ऐसे छात्रों का आंकड़ा मांगना तो शुरू किया था लेकिन अभी छात्रों की वापसी नहीं हो पा रही है। ये छात्र कोरोना संक्रमण की वजह से देश लौट आए थे और अभी तक यहीं फंसे हुए हैं।