अब एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों को मरीजों के साथ किए अच्छे व्यवहार पर भी नंबर दिए जाएंगे। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज ने मेडिकल छात्रों के व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए ये बड़ा कदम उठाया गया है। इसके लिए प्रोफेसरों को बाकायदा ट्रेनिंग दिया जा चुका है ताकि वे छात्रों को सही से ट्रेनिंग दे सकें। कॉलेज मैनेजमेंट का प्रयास है कि छात्र जब डॉक्टर बनें तो साथ में एक अच्छे इंसान भी बनें।
छात्रों के व्यवहार भी विनम्र होने चाहिए
हिंदुस्तान लाइव में छपी खबर के मुताबिक, एमबीबीएस कर रहे स्टूडेंट पढ़ाई के दौरान ही प्राथमिक उपचार के लिए करीब-करीब सभी हुनर सीख चुके हैं। इसमें टांके लगाना, ब्लड प्रेशर मापना, जीवन रक्षक टेक्नोलॉजी समेत कई इलाज शामिल हैं। पर अब सिर्फ पेशे से जुड़े स्किल से ही काम नहीं चलेगा। एक अच्छा डॉक्टर बनने के लिए छात्रों के व्यवहार भी विनम्र होने चाहिए। नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने इसको लेकर गाइडलाइन भी जारी की है।
प्रोफेसर्स को दिए गए ट्रेनिंग
मेडिकल कॉलेज के कई प्रोफेसर के लिए बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन (बीसीएमई) भी शुरू किए गए हैं ताकि वे मेडिकल स्टूडेंट्स को बेहतर तरीके से ट्रेनिंग दे सकें। मेडिकल छात्रों को अनिवार्य तौर पर मेडिकल एथिक्स का ज्ञान, आमजन से व्यवहार और मरीजों से बात करने तरीका भी सीखना होगा। एमबीबीएस की 5 साल की पढ़ाई में हर साल उन्हें यह सिखाया जाएगा और उनके रिजल्ट में इसके अलग से नंबर भी जुड़ेंगे।
4 चीजों पर होगा मूल्यांकन
एग्जाम के समय फैकल्टी मेंबर्स को छात्रों का मूल्यांकन करते समय इन चार बातों का ध्यान में रखना होगा। इसमें थ्योरी का नॉलेज, मेडिकल नॉलेज, मनोदृष्टि का ज्ञान और बातचीत की स्किल (व्यावहारिक ज्ञान) शामिल है। बता दें कि सभी छात्रों के लिए इन चारों कैटेगरी में पास होना अनिवार्य होगा।
ये भी पढ़ें:
B.Tech, B.E वालों एसएससी ने आईटी पदों पर निकाली है भर्ती, यहां देखें डिटेल