उत्तराखंड राज्य में तैनात बॉन्ड वाले डॉक्टर अब पोस्टग्रेजुएट करने की परमिशन, बॉन्ड टाइम पीरिएड पूरी होने के बाद ही मिलेगी। बॉन्ड पीरिएड के बीच डॉक्टर्स की पढ़ाई के लिए जाने से मरीजों को होने वाली असुविधा को देखते हुए सरकार नियम बदलने की तैयारी में है। बता दें कि राज्य सरकार, बॉन्ड के तहत बहुत कम फीस पर छात्रों को MBBS कराती है। बॉन्ड के मुताबिक इन डॉक्टर्स को कोर्स पूरा होने के बाद 3 साल के लिए पर्वतीय अस्पतालों में तैनात किया जाता है।
मरीजों को होती है असुविधा
कई डॉक्टर्स तैनाती के कुछ समय बाद ही पोस्टग्रेजुएट के लिए मंजूरी ले लेते हैं और इससे उस अस्पताल में डॉक्टर की कमी हो जाती है। फिर वहां आने वाले मरीजों को असुविधा होती है। ऐसे में बीच सत्र में पद खाली होने से हेल्थ सर्विसेज पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। हिंदुस्तान लाइव खबर के मुताबिक, हेल्थ सेक्रेटरी डॉ.आर राजेश कुमार के कई जिलों का दौरा किया और वहां की कई स्थानों पर यह समस्या देखने को मिली। हेल्थ सेक्रेटरी ने बताया,समस्या के निदान के लिए नियमों में बदलाव पर विचार हो रहा है।
हॉस्पिटल्स में 700 डॉक्टर तैनात
राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से बॉन्ड के तहत पासआउट 700 के करीब डॉक्टर्स को हॉस्पिटल में तैनात कियागया है। पर इसमें से बड़ी संख्या में डॉक्टर पोस्टग्रेजुएट कोर्स कर रहे हैं। इससे कई हॉस्पिटल में पद खाली हो गए हैं और मरीजों के लिए दिक्कत खड़ी हो रही है। ऐसे में बॉन्ड के तहत तैनाती के बाद 3 साल या फिर 2 साल की अवधि तक हॉस्पिटल में काम करना अनिवार्य किया जा रहा है। जानकारी दे दें कि राज्य में डॉक्टर्स को पोस्टग्रेजुएशन के दौरान आधी सैलरी दी जाती है। वहीं, प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ पूरी सैलरी देने की मांग कर रहा है और बड़ी संख्या में डॉक्टर्स के पीजी करने जाने के कारण से डॉक्टर्स सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
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